हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की उपासना करने से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। बता दें कि 10 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पालन किया जाएगा। शास्त्रों में इस व्रत के महत्व को विस्तार से बताया गया है। हालांकि, इस व्रत के कुछ नियम और भगवान विष्णु की उपासना से संबंधित पूजा-विधि का भी उल्लेख मिलता है। आइए जानते हैं पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा-विधि।

पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

  • शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पूजा-स्थल की साफ-सफाई करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद पूजा घर में भगवान विष्णु के साथ-साथ सभी देवी-देवताओं की विधिवत उपासना करें। बता दें कि एकादशी व्रत की पूजा अभिजीत मुहूर्त में की जाती है। इसके लिए ईशान कोण में एक चौकी पर श्री हरि की प्रतिमा स्थापित करें।
  • फिर भगवान का पवित्र जल से अभिषेक करें और उन्हें तुलसी पत्र अर्पित करें। इसके बाद भगवान को नए या स्वच्छ वस्त्र धारण कराएं या मौली को उपवस्त्र के रूप में अर्पित करें। इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि अर्पित करें। इस दौरान श्री हरि के मंत्र और स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
  • भगवान को खीर का भोग अर्पित करें, लेकिन ध्यान रखें कि भोग में तुलसी पत्र अवश्य हो। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। पूजा के अंत में आरती करें और भगवान से अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे।

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व

शास्त्रों में बताया गया है कि पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही यह माना जाता है कि जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उनकी मनोकामना भी पूरी होती है। इसके अलावा, मान्यता है कि एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।