भारत के इतिहास में सम्राट अशोक, एक महान शासक के रूप में जाने जाते हैं। मौर्य वंश के इस शक्तिशाली सम्राट ने युद्ध की विनाशलीला से दुखी होकर बौद्ध धर्म को अपनाया और अपने जीवन को शांति, करुणा और धर्म के प्रचार में समर्पित कर दिया। अशोक ने बौद्ध धर्म को न केवल भारत में, बल्कि श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान और दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैलाया। उन्होंने कई बौद्ध स्तूपों का निर्माण करवाया जो आज भी बौद्ध धर्म में आस्था के केंद्र हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन देश-विदेश के कई बौद्ध अनुयायी इन स्थानों पर आकर उपासना करते हैं।

सम्राट अशोक और बौद्ध धर्म

सम्राट अशोक का बौद्ध धर्म की ओर झुकाव कलिंग युद्ध (लगभग 261 ईसा पूर्व) के बाद हुआ। यह युद्ध मौर्य साम्राज्य और कलिंग के बीच हुआ था और इसमें बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हो गई थी। जब अशोक ने युद्ध के बाद मैदान में पड़े मृतकों को देखा, तो उन्हें बहुत पीड़ा हुई। उन्होंने हिंसा का मार्ग छोड़कर बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को अपनाया। उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं से दीक्षा ली और अहिंसा, करुणा, और सत्य को अपने शासन का मूल बना लिया।

 

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अशोक द्वारा बनवाए गए प्रमुख 10 बौद्ध स्तूप

अशोक ने पूरे भारत में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए कई स्तूपों और मठों का निर्माण करवाया। जिसमें से 10 प्रमुख बौद्ध स्तूपों के बारे में जानते हैं-

सांची स्तूप (मध्य प्रदेश)

सांची स्तूप(Photo Credit: shutter_delight/ Instagram)

यह सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन बौद्ध स्तूपों में से एक है। अशोक ने इसका निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था। यह स्तूप भगवान बुद्ध की अस्थियों को संरक्षित करने के लिए बनाया गया था। इसकी वास्तुकला में सुंदर तोरण द्वार और बेल-बूटों की नक्काशी है।

धमेक स्तूप (सारनाथ, उत्तर प्रदेश)

यह स्तूप उस स्थान पर बनाया गया है जहां गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। अशोक ने यहां एक विशाल स्तंभ और स्तूप का निर्माण करवाया। यह बौद्ध धर्म के प्रचार में एक अहम केंद्र बन गया।

भरहुत स्तूप (मध्य प्रदेश)

इस स्तूप को भी अशोक के शासनकाल में बनवाया गया था। इसमें बुद्ध के जीवन के दृश्यों को चित्रित करने वाली मूर्तियां और पत्थर की रेलिंग विशेष आकर्षण हैं। यद्यपि अब यह स्तूप अवशेषों में है, फिर भी इसकी कलाकृतियां संग्रहालयों में सुरक्षित हैं।

भटगांव स्तूप (नेपाल)

अशोक ने नेपाल की यात्रा के दौरान इस स्तूप का निर्माण कराया था। यह स्तूप स्थानीय बौद्ध समुदाय के लिए धार्मिक महत्त्व रखता है।

तक्षशिला स्तूप (पाकिस्तान)

तक्षशिला उस समय शिक्षा और बौद्ध धर्म का बड़ा केंद्र था। अशोक ने यहां बौद्ध मठों और स्तूपों का निर्माण करवाया, जिससे यहां बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती थी।

कन्थक स्तूप (लुंबिनी, नेपाल)

लुंबिनी भगवान बुद्ध का जन्मस्थान है। अशोक ने यहां एक स्तंभ और स्तूप बनवाया। इस स्तूप के पास 'अशोक स्तंभ' भी है जिस पर ब्राह्मी लिपि में लेख लिखे हुए हैं।

सोपारा स्तूप (महाराष्ट्र)

सोपारा स्तूप(Photo Credit: Wikimedia Commons)

सोपारा प्राचीन समय में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक बंदरगाह था। अशोक ने यहां भी एक बौद्ध स्तूप बनवाया जहां बुद्ध की अस्थियां स्थापित की गई थीं।

धामेक स्तूप (उत्तर प्रदेश)

वाराणसी के पास स्थित यह स्तूप भी अशोक द्वारा निर्मित था। यहां बौद्ध धर्म के उपदेशों का प्रचार होता था और भिक्षु शिक्षा प्राप्त करते थे।

 

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अमरावती स्तूप (आंध्र प्रदेश)

यह स्तूप दक्षिण भारत में बौद्ध धर्म के प्रसार का प्रतीक है। इसमें बुद्ध के जीवन के कई दृश्य चित्रित किए गए हैं। यह वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।

श्रीगिरि स्तूप (कर्नाटक)

कर्नाटक में स्थित यह स्तूप उस समय बौद्ध भिक्षुओं के लिए ध्यान और उपदेश का स्थान था। अशोक ने यहां मठों का भी निर्माण करवाया था।

अशोक का योगदान

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को संगठित रूप से फैलाने के लिए कई कदम उठाए, जिसमें उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं को धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए दूर-दराज के देशों में भेजा। साथ ही उन्होंने ‘धम्म यात्राएं’ कीं और खुद भी उपदेश दिए। उन्होंने अपने आदेश शिलालेखों और स्तंभों पर खुदवाए, जिससे आम जनता बौद्ध धर्म के सच्चे अर्थ को समझ सके। अशोक ने तीसरी बौद्ध संगीति (council) का आयोजन पाटलिपुत्र (पटना) में करवाया जहां बौद्ध ग्रंथों का संकलन और प्रचार तय किया गया।