हिंदू धर्म में समय की गणना के लिए पंचांग का विशेष महत्व है। पंचांग के पांच अंग होते हैं – तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इन्हीं में से एक है योग, जो शुभ-अशुभ कार्यों के निर्धारण में अहम भूमिका निभाता है। कुल 27 योगों में सिद्ध योग को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। इस योग में पूजा-पाठ, दान, व्रत, और शुभ कार्य करने से विशेष लाभ मिलते हैं।

सिद्ध योग कैसे बनता है?

योग की गणना सूर्य और चंद्रमा की स्थिति से होती है। पंचांग में प्रतिदिन सूर्य और चंद्रमा के यथास्थान के आधार पर योग की गणना की जाती है। जब सूर्य और चंद्रमा की युति से उत्पन्न योगों में विशेष संयोग बनता है, तो उसे सिद्ध योग कहते हैं। सरल शब्दों में, जब तिथि और नक्षत्र का विशेष मेल होता है, तब सिद्ध योग का निर्माण होता है।

 

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विशेष रूप से जब किसी तिथि पर किसी शुभ नक्षत्र जैसे- रेवती, पुष्य, अनुराधा के साथ आती है, तो सिद्ध योग का निर्माण होता है। इसके अलावा कुछ विशेष वार (जैसे सोमवार या गुरुवार) के साथ जब यह योग बनता है, तब उसकी प्रभावशीलता और भी बढ़ जाती है।

सिद्ध योग क्यों माना जाता है शुभ मुहूर्त?

हिंदू शास्त्रों में सिद्ध योग को शुभ और सफलता प्रदान करने वाला योग माना गया है। ‘सिद्ध’ का अर्थ ही होता है – पूर्णता, सिद्धि या सफलता। इस योग में आरंभ किए गए कार्यों में विघ्न नहीं आते और मनचाही सफलता मिलती है। इसलिए यह योग शुभ मुहूर्तों की श्रेणी में रखा जाता है।

 

इस योग में की गई पूजा-अर्चना शीघ्र फल देती है। किसी नए काम की शुरुआत, व्यवसाय का आरंभ, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, विद्या आरंभ, विवाह, संतान जन्म से जुड़ी योजनाएं या किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की नींव रखने के लिए सिद्ध योग अत्यंत लाभकारी होता है।

 

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सिद्ध योग में पूजा करने के लाभ

  • कार्य में सफलता: इस योग में कोई भी कार्य शुरू करने पर जल्दी सफलता मिलती है। व्यवसाय, नौकरी, परीक्षा आदि में शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं।
  • मनोकामना पूर्ति: देवी-देवताओं की आराधना करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं। विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा सिद्ध योग में अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
  • दोष शांति: किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि ग्रह दोष या अशुभ योग हो, तो इस योग में विशेष पूजा कर उसे शांति मिल सकती है।
  • सुख-समृद्धि: दान और पूजा के माध्यम से घर में शांति, सुख, और समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन की गई पूजा का प्रभाव दीर्घकालिक होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: ध्यान, साधना और मंत्र जाप करने से साधक को आत्मिक शांति और उच्च चेतना की प्राप्ति होती है।

सिद्ध योग में किन कार्यों की मनाही है?

सिद्ध योग ऐसा शुभ योग है जिसमें किसी भी कार्य की मनाही नहीं है। शास्त्रों के अनुसार, यह योग सभी प्रकार के धार्मिक और सांसारिक कार्यों के लिए उपयुक्त होता है। यहां तक कि यदि किसी कारणवश विशेष मुहूर्त उपलब्ध न हो, तो सिद्ध योग में कार्य आरंभ किया जा सकता है।