हिंदू धर्म में देवी सति के 51 शक्तिपीठों का विशेष महत्व है। बता दें कि शक्तिपीठ वे पवित्र स्थल हैं जहां देवी सती के अंग थे और ये स्थान देवी की शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवी सति ने महादेव का अपमान होता हुआ देखा तो उन्होंने अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया। इसके पश्चात भगवान शिव देवी के शरीर को लेकर तांडव नृत्य करते हुए सृष्टि में घूमने लगे। इससे सृष्टि में हाहाकार मच गया, जिसे देखते हुए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सति के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए।
कहा जाता है जिस-जिस स्थान पर देवी सति के शरीर के अंग गिरे, वहीं सभी शक्तिपीठ स्थापित हैं। बता दें कि भारत सहित विदेशों में भी शक्तिपीठ स्थित हैं, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। आइए जानते हैं कि विदेशों में किन-किन शक्तिपीठों की स्थापना हुई और इनसे जुड़ा महत्व क्या है।
हिंगलाज शक्तिपीठ (पाकिस्तान)
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के तट पर स्थित यह शक्तिपीठ हिंगलाज माता को समर्पित है। यहां देवी सती का सिर गिरा था। यह स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए पवित्र है। यहां की यात्रा कठिन होती है लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था उन्हें यहां खींच लाती है।
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सुगंधा शक्तिपीठ (बांग्लादेश)
बांग्लादेश के शिकारपुर गांव में स्थित इस मंदिर में देवी सुगंधा की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां सती का नाक गिरा था। यह मंदिर सुगंधा नदी के किनारे स्थित है, जो इसे और भी पवित्र बनाता है।
जयंती शक्तिपीठ (बांग्लादेश)
बांग्लादेश के जयंतीपुर में स्थित इस शक्तिपीठ में देवी जयंती की पूजा होती है। कहा जाता है कि यहां सती की बाईं जांघ गिरी थी। यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है और श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
चट्टल (चंद्रनाथ) शक्तिपीठ (बांग्लादेश)
बांग्लादेश के चटगांव जिले में स्थित चंद्रनाथ पहाड़ी पर यह शक्तिपीठ स्थित है। यहां देवी भवानी की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां सती की दाहिनी भुजा गिरी थी। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
श्रावणी शक्तिपीठ (बांग्लादेश)
बांग्लादेश के कुमारीकांदा में स्थित इस मंदिर में देवी श्रावणी की पूजा होती है। कहा जाता है कि यहां सती की रीढ़ की हड्डी गिरी थी। यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।
महालक्ष्मी शक्तिपीठ (बांग्लादेश)
बांग्लादेश के श्रीहट्ट (सिलहट) में स्थित इस मंदिर में देवी महालक्ष्मी की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां सती की गर्दन गिरी थी। यह स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
अपर्णा शक्तिपीठ (बांग्लादेश)
बांग्लादेश के बोगरा जिले के भवानीपुर गांव में स्थित इस मंदिर में देवी अपर्णा की पूजा होती है। कहा जाता है कि यहां सती की बाईं पायल गिरी थी। यह स्थान स्थानीय और विदेशी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।
गुह्येश्वरी शक्तिपीठ (नेपाल)
नेपाल की राजधानी काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के पास स्थित इस मंदिर में देवी गुह्येश्वरी की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां सती के दोनों घुटने गिरे थे। यह स्थान तांत्रिक साधना के लिए भी प्रसिद्ध है।
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गंडकी (मुक्तिनाथ) शक्तिपीठ (नेपाल)
नेपाल के मुस्तांग जिले में गंडकी नदी के तट पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर को गंडकी शक्तिपीठ कहा जाता है। यहां सती का दाहिना गाल गिरा था। यह स्थान हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के अनुयायियों के लिए पवित्र है।
दाक्षायणी शक्तिपीठ (तिब्बत, चीन)
तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के पास स्थित इस शक्तिपीठ में देवी दाक्षायणी की पूजा होती है। कहा जाता है कि यहां सती का दाहिना हाथ गिरा था। यह स्थान कठिन यात्रा मार्ग के बावजूद श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।