सोमवार का दिन भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ और व्रत का पालन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बता दें कि भगवान शिव को सृष्टि के संहारकर्ता के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों में भी भगवान शिव के व्रत की महिमा को विस्तार से बताया गया है।

 

कहा जाता है कि भगवान शिव की उपासना के साथ-साथ उनके व्रत का पालन करने से व्यक्ति को रोग, दोष और सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही, इस विशेष दिन पर भगवान शिव को समर्पित कुछ खास मंत्रों का जाप ज़रूर करना चाहिए। आइए जानते हैं:

भगवान शिव मंत्र

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। 
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नम: शिवाय ॥

 

मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय, नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय, तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥

 

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द, सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥

 

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य, मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय, तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥

 

यक्षस्वरूपाय जटाधराय, पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥

 

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

पंचाक्षरी स्तोत्र का महत्व

भगवान शिव के इस स्तोत्र की रचना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी, जिसे पंचाक्षरी स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। इसमें 'नमः शिवाय' के अर्थ को विस्तार से बताया गया है।

इसमें बताया गया है कि भगवान शिव पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

 

पंक्ति:

 

'पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥'

 

इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति शिव के समक्ष इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त करता है और भगवान शिव के साथ आनंदित होता है।