भारत में हजारों छोटे-बड़े मंदिर हैं, जहां स्थानीय और प्रमुख देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। देश के हर कोने में आपको अलग-अलग रूपों में पूजे जाने वाले देवता देखने को मिल जाएंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मंदिरों के बीच कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जहां जानवरों की पूजा होती है? इन मंदिरों में जानवरों की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और श्रद्धालु उन्हें आस्था के साथ पूजते हैं। आइए जानते हैं ऐसे खास मंदिरों के नाम और उनकी जगहें

 

इन मंदिरों की कोई तय संख्या नहीं है लेकिन कई प्रसिद्ध मंदिर ऐसे हैं जहां कुत्ते, चूहे, सांप, बंदर और बैल तक की पूजा की जाती है। ये मंदिर देश के अलग-अलग हिस्सों में फैले हुए हैं।

 

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बंदर का मंदिर

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक ऐसा मंदिर है जो बंदरों को समर्पित है। यहां बंदरों को बहुत पवित्र माना जाता है। शहर का प्रसिद्ध गलताजी मंदिर 'बंदर मंदिर' के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। शाम के समय बंदरों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। जो लोग उन्हें खिलाना चाहते हैं, वे ड्राई फ्रूट्स और केले लाकर खिला सकते हैं।

कुत्ते का मंदिर

 

 

कुत्ते दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय पालतू जानवरों में गिने जाते हैं। उन्हें सबसे वफादार जानवर माना जाता है क्योंकि वे अपने मालिकों के प्रति बेहद निष्ठावान होते हैं। मालिक और घर से उनका एक खास रिश्ता होता है, इसी वजह से लोग उन्हें बेझिझक पालते हैं। भारत में कुत्तों के लिए भी एक समर्पित मंदिर है, जहां उनकी मूर्ति स्थापित है और पूजा की जाती है। कर्नाटक के चन्नापटना में स्थित इस मंदिर को लेकर लोगों का विश्वास है कि कुत्ते गांव को आपदाओं से बचाते हैं और लोगों की रक्षा करते हैं।

बैल का मंदिर

 

भारत में गाय को बेहद पूजनीय माना जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर अन्य पशुओं को भी पवित्र माना जाता है। बेंगलुरु में स्थित बुल मंदिर ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यहां नंदी के रूप में बैल की पूजा की जाती है। मान्यता है कि विश्व भारती नदी का उद्गम इस मूर्ति के पैरों से होता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण उस बैल को नियंत्रित करने के लिए किया गया था, जो आसपास की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा था।

 

 

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चूहा मंदिर

 

भगवान गणेश के वाहन चूहे के लिए भी भारत में एक अनोखा मंदिर है। राजस्थान का करणी माता मंदिर चूहों को समर्पित है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पूजा करने आने वाले लोग चूहों के साथ बैठकर भोजन करते हैं। मंदिर परिसर में चूहों के रहने के लिए करीब 20 हजार छोटे घर बनाए गए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस इलाके में अब तक प्लेग या किसी गंभीर बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है। स्थानीय लोगों का मानना है कि करणी माता ने मृत्यु के बाद चूहे के रूप में पुनर्जन्म लिया था और यहां मरने वाले चूहों का फिर से जन्म होता है।

 

भालू का मंदिर

 

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित चंडी माता मंदिर में भालुओं की भी पूजा की जाती है। आरती के समय भालू मंदिर में आते हैं और पुजारी के हाथ से प्रसाद ग्रहण करते हैं। प्रसाद खाने के बाद वे मंदिर की नौ बार परिक्रमा करते हैं और फिर जंगल लौट जाते हैं। खास बात यह है कि भालुओं ने कभी मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। यह मंदिर मलकानगिरी वन प्रभाग के पास स्थित है।

 

नोट: इस खबर में लिखी गई बातें धार्मिक और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित हैं। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।