हिंदू धर्म में वैशाख अमावस्या का दिन बहुत पवित्र माना जाता है। यह दिन वैशाख मास के कृष्ण पक्ष के अंत में आता है और अमावस्या तिथि (अर्थात जब चंद्रमा दिखाई नहीं देता) को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, पितरों और पवित्र स्नान का विशेष विधान होता है।

पूजा के नियम

वैशाख अमावस्या पर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान करना, विशेषकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इस दिन व्रत रखने और सात्विक भोजन ग्रहण करने का नियम है। झूठ, हिंसा, छल-कपट से बचना चाहिए। दिनभर संयम और साधना का पालन करना आवश्यक होता है।

 

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पूजा विधि

सबसे पहले घर को साफ करके पूजा स्थान को शुद्ध करें।

भगवान विष्णु और अपने कुलदेवता का ध्यान करें।

ताम्र या पीतल के कलश में जल भरकर उसमें तुलसीदल डालें।

फिर दीपक जलाएं और धूप-दीप से पूजा करें।

विष्णु सहस्रनाम या विष्णु जी के मंत्रों का पाठ करें।

पितरों के लिए तर्पण करें, जल और काले तिल अर्पित करें।

जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना भी बहुत पुण्यदायी माना जाता है।

दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को फिर से पूजा करके अन्न-जल ग्रहण करें या केवल फलाहार करें।

इस दिन से जुड़ी मान्यताएं

वैशाख अमावस्या को पितरों के तृप्ति का विशेष अवसर माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन पितरों को जल, तिल और भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

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कुछ स्थानों पर इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा भी की जाती है, क्योंकि पीपल को भगवान विष्णु का वास माना गया है। पीपल को जल चढ़ाकर दीपक जलाने से जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

 

कई श्रद्धालु इस दिन को नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी शुभ मानते हैं। वैशाख अमावस्या को व्रत और दान करने से पुण्य फल अक्षय बना रहता है और जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।