दीपावली के एक दिन बाद मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा में एक विशेष स्थान रखती है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और उनके अद्भुत चमत्कार गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों और उनके मवेशियों की रक्षा करने की कथा को याद करने के लिए मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा न केवल भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि यह प्रकृति, गायों और भोजन के प्रति आभार जताने का भी माध्यम है।

 

इस दिन विशेष रूप से अन्नकूट उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें 56 तरह के पकवान भगवान को अर्पित किए जाते हैं। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, गायों की पूजा करते हैं और परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। गोवर्धन पूजा का संदेश केवल धार्मिक भक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें पर्यावरण, प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का पाठ भी सिखाता है। पूरे भारत में इस दिन श्रद्धालु अपने घरों और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण बन जाता है।

 

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गोवर्धन पूजा 2025 कब है?

गोवर्धन पूजा साल 2025 में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाएगा। इस तिथि की शुरुआत 22 तारीख से होगी और इसका तिथि का समापन 23 तारीख को होगा।

गोवर्धन पूजा सुबह के समय का मुहूर्त -  22 अक्टूबर 2025 के दिन सुबह 06:26 मिनट से सुबह 08:42 मिनट तक

गोवर्धन पूजा शाम के समय का मुहूर्त - 22 अक्टूबर 2025 के दिन दोपहर 03:29 मिनट से शाम 05:44 मिनट तक

गोवर्धन पूजा से जुड़ी मान्यता

मान्यता के अनुसार, जब गोकुलवासियों ने इन्द्रदेव की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की, तो इन्द्रदेव नाराज हो गए और मूसलधार बारिश भेजी। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी गोकुलवासियों और उनके मवेशियों को सात दिनों तक सुरक्षित रखा। इस घटना को याद करते हुए गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।

 

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गोवर्धन पूजा का व्रत क्यों रखा जाता है?

गोवर्धन पूजा का व्रत रखने से व्यक्ति की भक्ति, समर्पण और आस्था में वृद्धि होती है। यह व्रत भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करने, परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है। व्रति इस दिन उपवासी रहते हैं, अन्नकूट अर्पित करते हैं और गायों की पूजा करते हैं।