ऑस्ट्रेलिया में चल रही एशेज सीरीज के टेस्ट मैचों के जल्दी खत्म होने पर बवाल मचा हुआ है। प्रतिष्ठित एशेज सीरीज के 4 टेस्ट हो चुके हैं और फैंस को अभी तक 13 दिन का ही खेल देखने को मिला है। पर्थ स्टेडियम में खेला गया सीरीज का पहला मुकाबला 2 दिन के अंदर ही खत्म हो गया था। इसी तरह मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) में चौथा टेस्ट 2 दिन भी नहीं चल सका।
पर्थ स्टेडियम में जहां 847 गेंद में नतीजा निकल आया था, वहीं MCG में मैच 852 गेंद में समाप्त हो गया। ये दोनों मैच फेंकी गई गेंद के हिसाब से क्रिकेट इतिहास के क्रमश: 9वें और 10वें सबसे छोटे टेस्ट रहे। एक महीने के अंतराल में 2-2 छोटे टेस्ट मैच होने से पिच को लेकर विवाद गहरा गया है। इंग्लैंड की बहुप्रतीक्षित जीत के बावजूद उसके पूर्व क्रिकेटरों ने MCG की पिच की आलोचना की।
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'भारत की आलोचना होती है'
मेलबर्न में पहले दिन 20 विकेट गिरे थे। यानी ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमें एक-एक बार ऑलआउट हुईं। किसी टेस्ट मैच के पहले दिन विकेटों की पतझड़ लगना आम नहीं है। इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन ने X पर लिखा था, 'भारत में जब टेस्ट मैच के पहले दिन ज्यादा विकेट गिरते हैं, तो भारत को हमेशा कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ता है। इसलिए मुझे उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया को भी उसी तरह की आलोचना का सामना करना पड़ेगा। न्याय सबके लिए समान होना चाहिए।'
पीटरसन का इशारा इस ओर था कि भारत में जल्द-जल्दी विकेट गिरने पर स्पिनिंग पिचों को टारगेट किया जाता है लेकिन ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाजों की अनुकूल पिचों को लेकर उतना आक्रोश नहीं देखा गया। पीटरसन के ट्वीट के बाद लोगों ने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) को निशाना बनाना शुरू किया, जिसने पर्थ की पिच को 'वेरी गुड' रेटिंग दिया था। यही ICC भारत की थोड़ी सी टर्निंग पिचों को 'Unsatisfactory' यानी असंतोषजनक करार देने में देरी नहीं लगाता। MCG की पिच को भी खराब रेटिंग दिए जाने की मांग की जा रही है।
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खराब रेटिंग से क्या फर्क पड़ता है?
ICC हर इंटरनेशनल मैच के बाद पिच और आउटफील्ड को रेटिंग देता है। वर्ल्ड क्रिकेट की गवर्निंग बॉडी का मैच रेफरी पिच और आउटफील्ड को परखने के बाद रेटिंग तय करता है। ICC के मुताबकि, यह रेटिंग मैच की मेजबानी करने वाले बोर्ड को फीडबैक के रूप में दी जाती है, ताकि उस मैदान पर भविष्य में होने वाले इंटरनेशनल मैचों के लिए पिच और आउटफील्ड की तैयारियों में सहायता मिल सके।
इसके अलावा अगर किसी पिच या आउटफील्ड को खराब स्तर का घोषित किया जाता है, तो मेजबान बोर्ड और वेन्यू को यह जवाब देना पड़ता है कि पिच या आउटफील्ड जैसी चाहिए, वैसी क्यों नहीं थी। पिच या आउटफील्ड को खराब स्तर का तब माना जाता है जब उसे असंतोषजनक या अनफिट रेटिंग मिलती है। असंतोषजनक और अनफिट रेटिंग मिलने पर मैदान को डिमेरिट पॉइंट भी झेलना पड़ता है। ICC खराब स्तर की पिच या आउटफील्ड वाले मैदान को बैन भी कर सकता है।
पिचों की रेटिंग कैसे तय की जाती है?
ICC फिलहाल चार स्तरीय रेटिंग सिस्टम - वेरी गुड, संतोषजनक, असंतोषजनक और अनफिट - से पिचों को रेट करता है। आइए समझते हैं कि किस पिच को क्या रेटिंग दिया जाएगा, उसके लिए क्या गाइडलाइन है।
वेरी गुड - अच्छी उछाल, लिमिटेड सीम मूवमेंट और मैच की शुरुआत में असमान उछाल नहीं होनी चाहिए, जिससे बल्ले और गेंद के बीच बराबर की टक्कर हो।
संतोषजनक - उस तरह की पिच, जिस पर न तो सिर्फ बल्लेबाज और न ही सिर्फ गेंदबाज का दबदबा रहे। दोनों के लिए उपयुक्त हो।
असंतोषजनक - बल्ले और गेंद के बीच बराबर का मुकाबला नहीं होने पर यह रेटिंग दी जाती है। बहुत ज्यादा सीम मूवमेंट और असमान उछाल भी असंतोषजनक रेटिंग का कारण हो सकता है।
अनफिट - वैसी पिच, जिस पर खेलने से खिलाड़ियों की सुरक्षा को खतरा हो, उसे यह रेटिंग दी जाती है।
