साल 1988 का एशिया कप। बांग्लादेश में खेले गए इस टूर्नामेंट के फाइनल में भारत और श्रीलंका की टीमें पहुंची थीं। अर्जुन राणातुंगा की कप्तानी वाली श्रीलंकाई टीम ने अजेय रहते हुए खिताबी मुकाबले में जगह बनाई थी, जबकि टीम इंडिया ने 3 में से 2 मैच जीतकर फाइनल का टिकट कटाया। भारत को ग्रुप स्टेज में जो एक हार मिली थी, वह श्रीलंका ने ही थमाई थी। ऐसे में भारतीय टीम फाइनल में बदले के इरादे से उतरी। साथ ही उसकी नजरें दूसरी बार एशिया कप का खिताब जीतने पर भी थी।

 

ढाका के नेशनल स्टेडियम में भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। टीम इंडिया ने धारदार गेंदबाजी और चपल फील्डिंग करते हुए श्रीलंका को 176 रन पर ही समेट दिया। यह टारगेट भले ही छोटा लग रहा हो लेकिन उस समय आसान नहीं था, क्योंकि इससे ठीक पहले भारत को पाकिस्तान के खिलाफ करो या मरो वाले मैच में 143 रन का लक्ष्य हासिल करने में पसीने छूट गए थे। हालांकि टीम इंडिया के ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू ने आतिशी बल्लेबाजी कर मुकाबले को एकतरफा बना दिया।

 

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फाइनल में दिखा 'सिक्सर सिद्धू' का जलवा

177 रन के टारगेट का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को कृष्णमाचारी श्रीकांत और नवजोत सिंह सिद्धू ने दमदार शुरुआत दिलाई। दोनों ने पहले विकेट के लिए 45 रन की साझेदारी की। श्रीकांत 28 गेंद में 23 रन की पारी खेलकर आउट हुए। कुछ देर बाद मोहिंदर अमरनाथ (7) भी चलते बने। एक छोर पर डटे सिद्धू को कुछ देर के लिए श्रीलंका के खिलाफ ग्रुप स्टेज वाले मुकाबले की जरूर याद आई होगी, जब उन्होंने और श्रीकांत ने 274 रन के चेज में अच्छी शुरुआत दिलाई थी लेकिन भारत वह मैच 17 रन से हार गया था। सिद्धू खुद ताबड़तोड़ अर्धशतक लगाने के बाद आउट हो गए थे और उनके जाने के बाद भारतीय पारी बिखर गई थी। मगर इस बार वह जमे रहे। उन्हें कप्तान दिलीप वेंगसरकर का साथ मिला।

 

सिद्धू ने वेंगसरकर के साथ तीसरे विकेट के लिए 86 रन की जोरदार साझेदारी कर भारत को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया। सिद्धू ने 87 गेंद में 4 चौके और 3 छक्कों की मदद से 76 रन ठोके। वह जब आउट हुए, उस समय भारतीय टीम जीत से महज 22 रन दूर थी। उनके जाने के 1 गेंद बाद ही मोहम्मद अजहरुद्दीन भी आउट हो गए। इसके बाद वेंगसरकर ने कपिल देव के साथ मिलकर कोई और नुकसान नहीं होने दिया और 47 गेंद शेष रहते भारत को 6 विकेट से आसान जीत दिला दी। इसके साथ ही टीम इंडिया ने दूसरी बार एशिया कप खिताब पर कब्जा जमाया। वेंगसरकर ने 81 गेंद में नाबाद 50 रन की कप्तानी पारी खेली। कपिल देव ने 12 गेंद में नाबाद 12 रन का योगदान दिया।

 

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शॉट खेलते नवजोत सिंह सिद्धू। (File Photo Credit: ICC/X)

प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू को फाइनल में उनकी आक्रामक पारी के लिए प्लेयर ऑफ द मैच के अवॉर्ड से नवाजा गया। वह टूर्नामेंट में भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। उन्होंने 4 मैचों में 59.66 की बेहतरीन औसत से 179 रन जड़े। इस दौरान उनके बल्ले से 3 अर्धशतक निकले। टीम इंडिया की खिताबी जीत में उनका अहम रोल रहा, जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज भी चुना गया।

 

1988 एशिया कप फाइनल में भारत की प्लेइंग-XI: कृष्णमाचारी श्रीकांत, नवजोत सिंह सुद्धू, मोहिंदर अमरनाथ, दिलीप वेंगसरकर (कप्तान), मोहम्मद अजहरुद्दीन, कपिल देव, अजय शर्मा, चंद्रकांत पंडित (विकेटकीपर), संजीव शर्मा, अरशद अयूब, मनिंदर सिंह

 

एशिया कप के इन संस्करणों में चैंपयिन बना है भारत

  • 1984
  • 1988
  • 1990/91
  • 1995
  • 2010
  • 2016
  • 2018
  • 2023