अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के नियमों में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। कभी नई टेक्नोलॉजी के हिसाब से तो कभी जरूरत के हिसाब से नियमों को बदला जाता है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने अब कुछ ऐसे ही नियमों में बदलाव किया है। इस बार जिन नियमों में बदलाव किया गया है उनमें स्टॉप क्लॉक, गेंद पर सलाइवा लगाने का तरीका और डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) प्रमुख हैं। ICC ने यह भी बताया है कि ये नियम टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों फॉर्मैट में लागू होंगे।
ओवर खत्म होने के बाद दूसरा ओवर शुरू करने में कितना समय लगेगा, यह ICC ने तय कर दिया है। साथ ही बैट की बजाय पैड पर गेंद लगी और अल्ट्राएज में आवाज आई तो क्या फैसला लिया जाएगा, यह भी ICC ने फिक्स कर दिया है। इसके अलावा नो बॉल पर कैच, शॉर्ट रन और सलाइवा के नियमों में भी हुए हैं बदलाव। जो टेस्ट, वनडे और टी-20 तीनों फॉर्मेट में लागू होंगे। आइए इन बदलावों को विस्तार से समझते हैं...
स्टॉप क्लॉक का नियम क्या है?
अक्सर टेस्ट क्रिकेट में धीमे ओवर रेट और खेल को लंबा खींचने की शिकायत रहती है। इसे दुरुस्त करने के लिए ICC ने टेस्ट क्रिकेट में भी स्टॉप क्लॉक नियम लागू करने का फैसला किया है। टी-20 और वनडे में इसे पहले ही आजमाया जा चुका है। इस नियम के तहत जैसे ही एक ओर खत्म होगा, स्टॉप क्लॉक शुरू हो जाएगा। फील्डिंग टीम को 60 सेकेंड के भीतर दूसरा ओवर शुरू करना होगा। अगर टीम ऐसा नहीं करती तो अंपायर पहले दो बार चेतावनी देंगे।
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तीसरी बार से हर गलती पर फील्डिंग टीम पर 5 रन की पेनल्टी लगेगी। हर 80 ओवर के बाद चेतावनी रीसेट हो जाएंगी, यानी फिर से दो चेतावनी मिलेंगी। स्टॉप क्लॉक 60 से 0 तक उलटी गिनती करेगा, जिससे समय का हिसाब रखा जाएगा। टी-20 और वनडे में यह नियम पहले से लागू है।
सलाइवा लगेगा या नहीं?
कोरोना काल से ही गेंद पर लार यानी सलाइवा लगाना मना है। इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। यह प्रतिबंध अब भी जारी है। गेंद पर सलाइवा नहीं लगाया जा सकता लेकिन नियमों में कुछ बदलाव किया गया है। पहले अगर कोई खिलाड़ी गलती से भी लार लगाता था तो गेंद तुरंत बदल दी जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब अंपायर गेंद की जांच करेंगे। अगर उन्हें लगता है कि बदलाव की जरूरत है तो ही गेंद बदली जाएगी लेकिन अगर गेंद बहुत गीली नहीं हुई या उसकी चमक में बदलाव नहीं हुआ है लेकिन बाद में गेंद कुछ खास करने लगी तो भी गेंद नहीं बदली जाएगी बल्कि फील्डिंग टीम पर 5 रनों की पेनाल्टी लगाई जाएगी।
गेंद बदलनी है या नहीं, यह पूरी तरह से अंपायरों के विवेक पर निर्भर करेगा। यह बदलाव इसलिए किया गया ताकि टीमें जानबूझकर गेंद बदलवाने के लिए सलाइवा का इस्तेमाल न करें।
DRS में क्या बदलाव हुआ?
बल्ले को छूते हुए विकेट कीपर के दस्तानों में गेंद को जाते हमने अक्सर देखा है और यह भी देखा है कि सबसे ज्यादा डाउट भी इसी तरह के आउट में होता है कि बॉल बल्ले से लगी या नहीं। अक्सर इस तरह के आउट में DRS का इस्तेमाल किया जाता है। फिर अल्ट्रा एज तकनीक के जरिए गेंद के टकराने की आवाज से यह पता लगाया जाता है कि बल्लेबाज आउट है या नहीं। कई बार ऐसा भी होता है कि बॉल, बैट की बजाय पैड से टकराई होती थी और ऐसी स्थिति में कैच का फैसला खारिज हो जाता था और LBW की जांच के लिए अंपायर कॉल होता था और बैटर नॉट आउट होता था। अब नए नियमों के मुताबिक अगर बॉल पैड से टकराई है और बॉल ट्रैकिंग से पता चलता है कि बैटर LBW है तो फिर उसे आउट माना जाएगा।
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एक बदलाव यह भी हुआ है कि अगर एक ही बॉल पर दो तरह की अपील आती है तो जो पहले हुआ है उसकी जांच पहले की जाएगी। जैसे- अगर एक ही बॉल पर LBW और रन आउट दोनों की अपील आई तो फिर पहले LBW की जांच होगी क्योंकि वह पहले हुई है। उसके बाद रन लिया गया है और रन आउट हुआ है इसलिए रन आउट की जांच बाद में की जाएगी। अगर LBW में ही बैटर आउट हो जाता है तो फिर रन आउट की जांच नहीं की जाएगी।
और क्या-क्या बदला?
इसके अलावा एक बदलाव शॉर्ट रन को लेकर भी किया गया है। कभी-कभी बैटर जानबूझकर क्रीज तक नहीं पहुंचते। ताकि जल्दी रन ले सकें या स्ट्राइक बदल सकें। इसके लिए बैटिंग टीम पर पेनल्टी का नियम है। अगर कोई खिलाड़ी जानबूझकर शॉर्ट रन लेते पकड़ा जाता है तो फिर उसकी टीम पर 5 रन की पेनल्टी लगाई जाती है। अब नियमों में एक बदलाव किया गया है। अगर कोई खिलाड़ी जानबूझकर शॉर्ट रन लेता है तो फील्डिंग टीम के पास यह तय करने का अधिकार होगा कि कौन सा बल्लेबाज स्ट्राइक पर रहेगा। इसके लिए अंपायर फील्डिंग टीम से पूछेंगे कि वे किसे स्ट्राइक पर चाहते हैं। 5 रन की पेनल्टी तो मिलेगी ही।
एक बदलाव नो बॉल पर कैच की जांच में भी किया गया है। कैच सही है या नहीं, यह कई बार स्पष्ट नहीं होता। अंपायर इसकी जांच करते हैं लेकिन अगर इसी दौरान यह पता चले कि गेंद नो-बॉल है तो फिर कैच की जांच नहीं की जाती थी। बंद कर दी जाती थी। अब ऐसा नहीं होगा। नए नियमों के मुताबिक कैच की जांच की जाएगी। भले ही गेंद नो बॉल हो। अगर कैच सही है तो फिर बल्लेबाजी टीम को केवल नो बॉल का एक रन एक्स्ट्रा मिलेगा लेकिन अगर कैच सही नहीं है तो फिर बैटर के दौड़े रन भी टीम के स्कोर में जोड़े जाएंगे।