भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में खिलाड़ियों के प्रदर्शन से ज्यादा ड्यूक्स बॉल चर्चा में है। दोनों ही टीमें गेंद को लेकर बार-बार शिकायत करती नजर आई हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि गेंद जल्दी सॉफ्ट हो जा रही है और उसके आकार में बदलाव आ जा रहा है।

 

सीरीज के पहले दो मैच हेडिंग्ले और एजबेस्टन में खेले गए थे, जहां अंपायर गेंद को बार-बार बदलते देखे जा सकते थे। गेंद की क्वालिटी का मुद्दा उस समय और गहरा गया जब लॉर्ड्स में हुए तीसरे टेस्ट मैच में इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान दूसरी नई गेंद 10 ओवर ही टिक सकी। 

शुभमन गिल ने जाहिर की नाराजगी

भारतीय टीम लॉर्ड्स टेस्ट के दूसरे दिन (11 जुलाई) जल्दी-जल्दी 3 विकेट निकाल चुकी थी। तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह दूसरी नई गेंद से कहर बरपा रहे थे और इंग्लैंड की पारी जल्दी सिमटती दिख रही थी। इस बीच भारतीय खिलाड़ियों ने गेंद की शेप को लेकर शिकायत की। इसके बाद फील्ड अंपायर्स ने गेंद को चेक किया। उन्होंने जब गेज से गेंद को निकाला तो यह टेस्ट में फेल हो गई। हैरान करने वाली बात थी कि इस गेंद से अभी महज 10.4 ओवर का ही खेल हुआ था। इतनी जल्दी गेंद के खराब होने पर बवाल मच गया।

 

भारतीय टीम को उसके बदले में जो दूसरी गेंद मिली, वह काफी पुरानी थी। इससे गेंदबाजों के लिए मुश्किलें होने वाली थी। भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने अंपायर से इस बात की शिकायत भी की। मगर फील्ड अंपायर्स ने इसी पुरानी गेंद से खेल जारी रखने के लिए कहा। इंग्लैंड ने इसका फायदा उठाते हुए अपनी पहली पारी में 387 रन बना दिए। उसका 7 विकेट 271 रन पर गिर चुका था लेकिन पुरानी गेंद से इंग्लिश टीम के लोअर ऑर्डर के बल्लेबाजों को आसानी हुई और उन्होंने 100 से ज्यादा रन जोड़ लिए।

 

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स्टुअर्ट ब्रॉड भी भड़के

ड्यूक्स बॉल की क्वालिटी पर इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने भी सवाल उठाया। लॉर्ड्स में 10.4 ओवर में ही नई गेंद के खराब होने पर ब्रॉड ने कहा कि यह अस्वीकार्य है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'क्रिकेट की गेंद एक बेहतरीन विकेटकीपर जैसी होनी चाहिए, जिस पर शायद ही किसी का ध्यान जाए। हमें गेंद के बारे में बहुत ज्यादा बात करनी पड़ रही है क्योंकि यह एक बड़ी समस्या बन गई है और लगभग हर पारी में इसे बदला जा रहा है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। ऐसा लगता है जैसे 5 साल हो गए हों। ड्यूक्स बॉल में गड़बड़ी है। इसे ठीक करने की जरूरत है। गेंद को 80 ओवर चलनी चाहिए ना कि 10 ओवर'

 

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क्या पहली बार उठे हैं गेंद की क्वालिटी पर सवाल?

टेस्ट क्रिकेट 3 ब्रांड की गेंदों से खेला जाता है। भारत में SG गेंद , इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में ड्यूक्स बॉल जबकि ऑस्ट्रेलिया और बाकी जगहों पर कूकाबुरा गेंद टेस्ट मैचों में इस्तेमाल होता है। किसी ब्रांड की क्वालिटी को लेकर पहली बार सवाल नहीं उठे हैं।

 

2010 के दशक के अंत में एक समय SG गेंद भी अपना शेप खो देती थी। SG कंपनी भारत की है। इसके बावजूद टीम इंडिया के खिलाड़ी गेंद के आकार के खराब होने पर अंपायर का ध्यान दिलाते थे। कूकाबुरा की कम उभरी हुई सीम के लिए आलोचना की जाती रही है। हालांकि हालिया वर्षों में इसके सीम को बेहतर किया गया है। वहीं ड्यूक्स बॉल की शेप और सीम दोनों को लेकर शिकायतें सामने आ रही हैं। वेस्टइंडीज में भी ड्यूक्स बॉल को लेकर खिलाड़ियों ने नाराजगी जाहिर की है।

शिकायत पर क्या बोली ड्यूक्स बॉल की निर्माता कंपनी?

भारत-इंग्लैंड सीरीज में ड्यूक्स बॉल के सवालों के घेरे में आने के बाद उसकी निर्माता कंपनी 'ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड' के मालिक दिलीप जाजोदिया ने पहले तो अलग-अलग फैक्टर्स गिनाए कि गेंद क्यों खराब हो रही है। उन्होंने बताया कि गेंद के जल्दी सॉफ्ट होने में मौसम, पिच, बल्ला और अन्य कई वजहें हैं। साथ ही दिलीप जाजोदिया ने खिलाड़ियों से धैर्य रखने के लिए कहा। मगर विवाद नहीं थमने के बाद उन्होंने 18 जुलाई को कहा कि गेंद की जांच की जाएगी।

 

इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) इस्तेमाल की गई ज्यादातर ड्यूक्स बॉल को इस हफ्ते के अंत तक निर्माता कंपनी को लौटा देगा। कंपनी के मालिक दिलीप जाजोदिया ने बीबीसी स्पोर्ट्स से कहा, 'हम इन (इस्तेमाल हुई) गेंदों को ले जाएंगे, जांच करेंगे और फिर इसके निर्माण से जुड़े लोगों से बातचीत करेंगे। हम इस मामले में जो भी जरूरी होगा वह कदम उठाएंगे। समीक्षा में अगर हमें लगेगा कि कुछ बदलाव करने की जरूरत है, तो हम करेंगे।'