भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका को आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में हराकर खिताब अपने नाम किया। सालों के इंतजार के बाद मिली इस शानदार जीत के बाद पूरा देश जश्न के माहौल में डूबा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विराट कोहली तक सभी देश की बेटियों को बधाई दे रहे हैं। इस बीच अमोल मजूमदार भी चर्चा में बने हुए हैं। अमोल मजूमदार भारतीय महिला टीम के कोच हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन में भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया है। अमोल मजूमदार भी एक क्रिकेटर थे, जिन्होंने दो दशक से ज्यादा समय तक क्रिकेट खेला। उन्होंने घरेलू मैदान में रनों का अंबार लगाया था लेकिन वह कभी भी इंटरनेशनल मैच नहीं खेल पाए।
टीम इंडिया के लिए कोई इंटरनेशनल मैच ना खेल पाने का मलाल तो अमोल मजूमदार के मन में आज भी होगा लेकिन आज उन्होंने वह कर दिखाया है जो कई खिलाड़ी इंटरनेशनल मैच खेलकर भी नहीं कर पाए। उन्होंने अपना वर्ल्ड कप जीतने का सपना पूरा कर लिया है। भले ही वह एक खिलाड़ी के रूप में ऐसा ना कर पाएं हों लेकिन एक कोच के रूप में अहम भूमिका निभाते हुए उन्होंने वर्ल्ड कप ट्रॉफी पर टीम इंडिया का नाम लिख दिया है। कभी सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के साथ क्रिकेट खेल चुके अमोल ने जीवन में कई बार लंबा इंतजार किया लेकिन अब उनका इंतजार एक शानदार जीत के साथ खत्म हुआ है।
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खिलाड़ी के रूप में अमोल का शानदार सफर
अमोल मजूमदार ने स्कूल के दिनों से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। स्कूल के दिनों में वह विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की टीम में खेल चुके थे। 1993 में उन्होंने बॉम्बे के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया था। उस समय उन्होंने पहले ही मैच में 260 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली थी। उनकी इस डेब्यू पारी को देखकर लोग उन्हें अगला सचिन तेंदुलकर कहने लगे थे। उन्होंने दो दशक से लंबे अपने करियर में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 11,167 से रन बनाए, कुल 30 शतक और 60 अर्धशतक जड़े लेकिन भारत के लिए मैच नहीं खेल पाए। हालांकि, वह 1994 में भारत की अंडर-19 टीम के उपकप्तान रहे थे। इंडिया ए के लिए राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के साथ भी खेले।

अमोल मजूमदार ने एक बार बताया था कि उन्होंने 2002 आते-आते लगभग हार मान ली थी लेकिन उनके पिता ने उन्हें यह कहकर खेलने के लिए कहा कि उनके अंदर अभी क्रिकेट बाकी है। इसके बाद उन्होंने शानदार वापसी की और 2006 में मुंबई को रणजी ट्रॉफी जिताई। उन्होंने ही रोहित शर्मा को पहली बार फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में मौका दिया था।
क्रिकेट से संन्यास लेकर बने कोच
2014 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। उन्होंने कहा था, 'मैंने भारत के लिए कभी नहीं खेला यही एक कमी रह गई।' खिलाड़ी के रूप में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कोच के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और राजस्थान रॉयल्स जैसी टीमों के साथ काम किया।
उन्होंने कोच के रूप में अच्छा काम किया और कम बोलने वाले हर चीज को गहराई से समझने वाले कोच के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके करियर में एक अहम मोड़ तब आया जब अक्तूबर 2023 में उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हेड कोच नियुक्त किया गया। उनकी इस नियुक्ति पर कई लोगों ने सवाल उठाए थे। लोगों का कहना था कि अमोल भारत के लिए कभी नहीं खेले तो वह कोच कैसे बन पाएंगे।
आलोचनाओं का किया सामना
अमोल मजूमदार को जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हेड कोच नियुक्त किया गया तो उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इस टूर्नामेंट में जब भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड से ग्रुप स्टेज पर हार का सामना करना पड़ा, तब भी टीम आलोचनाओं से घिर गई थी। अमोल मजूमदार के फैसलों पर सवाल उठने लगे थे और टीम पर दबाव बन गया था।
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इस बीच भी अमोल मजूमदार शांत रहे और टीम को आने वाले मैच के लिए तैयार किया। उन्होंने सेमीफाइनल में जीत के बाद कहा, 'ड्रेसिंग रूम में कोई बड़ा मैसेज नहीं दिया गया। हम हमेशा एक दूसरे से कहते हैं कि हमें अच्छी तरह मैच खत्म करने की जरूरत है।' उन्होंने सेमीफाइल मैच से पहले ड्रेसिंग रूम में बोर्ड पर लिखा था कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया से बस एक रन ज्यादा बनाना है। सेमीफाइनल में जीत के बाद कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा, 'हम सभी कोच अमोल मजूमदार पर पूरा भरोसा करते हैं। वह जो भी कहते हैं दिल से कहते हैं। अगर वह सख्त होते हैं तो भी अच्छे के लिए।'
कबीर खान से हो रही तुलना
अमोल मजूमदार तमाम आलोचनाओं पर चुप रहे और अपना काम करते रहे। साउथ अफ्रीका को हराकर जब भारत ने वर्ल्ड कप में जीत दर्ज की तो उनके आलोचकों को जवाब मिल गया। सोशल मीडिया पर लोग उनकी तुलना 'चक दे इंडिया' के कबीर खान से कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि फिल्म की तरह ही अमोल मजूमदार ने भी अनदेखा किए जाने और गलत समझे जाने के जख्म सहे। कबीर की तरह उन्होंने भी आलोचनाओं का सामना कर रही टीम को वर्ल्ड कप जीतने के लिए तैयार किया और अब भारतीय टीम विश्व चैंपियन है।
