गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा ने लंबे इंतजार के बाद आखिरकार 90 मीटर का आंकड़ा छू ही लिया। भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर ने शुक्रवार (16 मई) को दोहा डायमंड लीग 2025 में 90.23 मीटर का थ्रो किया। डबल ओलंपिक मेडलिस्ट नीरज ने अपने करियर में पहली बार 90 मीटर के पार भाला फेंका। इससे पहले उनका बेस्ट थ्रो 89.94 मीटर का था। नीरज ने 2022 स्टॉकहोम डायमंड लीग में यह दूरी हासिल की थी।

 

नीरज चोपड़ा पिछले 3 साल में छह कम्पटीशन में 89 मीटर के ऊपर थ्रो कर चुके थे लेकिन 90 मीटर का बैरियर उनका भाला नहीं तोड़ पा रहा था। फैंस से लेकर प्रेस रिपोर्टर तक हर किसी का उनसे बस यही सवाल रहता था कि कब वह 90 मीटर थ्रो करेंगे। इस मार्क को छूने के लिए नीरज खुद कई बार बोल चुके थे। आखिरकार कतर की राजधानी दोहा के सुहैम बिन हमद स्टेडियम में वह पल आया जब नीरज ने अपने तीसरे प्रयास में 90.23 मीटर दूर भाला फेंका। कम्पटीशन खत्म होने के बाद नीरज ने कहा, 'सभी के कंधों से बोझ उतर गया है लेकिन मुझे लगता है कि मैं आगे इससे भी अच्छी थ्रो करूंगा।'

 

यह भी पढ़ें: पहले थे सुबेदार मेजर, अब MSD की तरह लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए नीरज चोपड़ा

 

ग्रोइन इंजरी से उबरे और कर दिया कमाल

 

नीरज चोपड़ा अब तक 90 मीटर तक क्यों नहीं पहुंच सके थे, इसका बड़ा कारण उनकी ग्रोइन इंजरी थी। नीरज को यह इंजरी 2018 से परेशान कर रही थी, जिसके चलते वह पूरी ताकत से थ्रो नहीं कर पा रहे थे। 2022 वर्ल्ड चैंपियनशिप में नीरज को ग्रोइन इंजरी और गंभीर हो गई थी। वह बाकी जैवलिन थ्रोअर्स की तरह हार्ड ट्रेनिंग नहीं कर पा रहे थे। इसके बाद जब भी वह थ्रो करते तो उनके मन में डर लगा रहता था कि कहीं इंजरी बढ़ ना जाए। नीरज ने एक इंटरव्यू में कहा था कि दूसरे एथलीट्स कई बार ट्रेनिंग करते हैं लेकिन मैं सप्ताह में एक ही सेशन कर पाता हूं। उन्होंने पिछले साल के अंत में ऑफ सीजन में अपनी इंजरी को ठीक करने में समय बिताया। अब वह ग्रोइन इंजरी से पूरी तरह से उबर गए हैं।

 

नए कोच ने बदला तकनीक

 

नीरज इस साल के अपने पहले कम्पटीशन में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने पिछले साल का सीजन खत्म होने के बाद अपना कोच बदला था। नीरज ने जैवलिन की दुनिया के बेताज बादशाह और सबसे लंबे थ्रो का वर्ल्ड रिकॉर्ड (98.48 मीटर) रखने वाले चेक रिपब्लिक के जेन जेलेज्नी से फरवरी में ट्रेनिंग लेनी शुरू की, जिसका असर जल्द ही देखने को मिला है। जेलेज्नी ने नीरज को थ्रोइंग तकनीक में कुछ अहम बदलाव किए हैं। नीरज का थ्रो पहले सीधे जाने के बजाए बाईं ओर लैंड करता था, जिससे उनका भाला अधिक दूरी हासिल नहीं कर पाता था। जेलेज्नी की सलाह पर नीरज ने इसे ठीक कर लिया है। 

 

अब नीरज पहले की तुलना में बाएं पैर पर तेजी से रुक रहे हैं और एक झटके में पूरी ताकत के साथ जैवलिन को थ्रो कर रहे हैं। पहले की तरह वह एक साइड में गिर भी नहीं रहे हैं। जैवलिन को पकड़ने के तरीके में भी नीरज ने बदलाव किया है, जिससे उन्हें थ्रो करने में पूरा बल मिल रहा है।

 

नीरज इससे पहले जर्मनी के बायोमैकेनिक्स एक्सपर्ट क्लॉस बार्टोनिट्ज से ट्रेनिंग ले रहे थे। बार्टोनिट्ज के मार्गदर्शन में नीरज ने ना सिर्फ अपनी इंजरी को मैनेज किया बल्कि उन्होंने ओलंपिक में गोल्ड और सिल्वर भी जीता। बार्टोनिट्ज की कोचिंग में नीरज वर्ल्ड चैंपियन और डायमंड लीग चैंपियन भी बने।

 

यह भी पढ़ें: 'नदीम मेरा करीबी दोस्त नहीं', नीरज चोपड़ा ने ट्रोल्स को दिया जवाब

 

 

जैवलिन थ्रो में बेंचमार्क है 90 मीटर

 

जैवलिन थ्रो में 90 मीटर को पार करना एक बेंचमार्क माना जाता है। नीरज 2016 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के बाद कहा था कि वह इस क्लब का हिस्सा बनना चाहते हैं। 9 साल बाद अब जाकर नीरज का सपना पूरा हुआ है। हालांकि इस बीच कोई ऐसा मेडल नहीं रहा, जो उन्होंने ना जीता हो। नीरज से पहले दुनिया के 25 जैवलिन थ्रोअर ही 90 मीटर का बैरियर को पार कर पाए थे। इसमें भी यूरोपियन एथलीट्स का दबदबा रहा है। एशिया से ऐसा करने वाले नीरज तीसरे एथलीट हैं। उनसे पहले चीनी ताइपे के चाओ-त्सुन चेंग और पाकिस्तान के अरशद नदीम 90 मीटर से दूर भाला फेंक सके थे।