साल 2025 का आज आखिरी दिन है। यह गुजरता साल कई भारतीय खिलाड़ियों की सफल वापसी का गवाह बना है। क्रिकेट में ईशान किशन से लेकर शेफाली वर्मा ने अपने धांसू कमबैक से लोगों को दिल जीता, तो वहीं रेसलिंग में अंतिम पंघाल ने अपनी पुरानी लय हासिल की और पेरिस ओलंपिक के विवादों को पीछे छोड़ा। आइए इन खिलाड़ियों की वापसी की पूरी कहानी जानते हैं।

ईशान किशन

दिसंबर 2023 में साउथ अफ्रीका दौरा बीच में छोड़ने पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने ईशान किशन पर बड़ा ऐक्शन लिया था। बोर्ड ने उन्हें टीम इंडिया से दूर ही नहीं किया बल्कि सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से भी बाहर कर दिया। किशन पर घरेलू क्रिकेट को तवज्जो नहीं देने का भी आरोप लगाया गया। बाद में भारतीय टीम में चयन के लिए उनके नाम पर  विचार तक नहीं किया गया।

 

यह सिलसिला 2 साल तक चला, जो अब जाकर खत्म हुआ है। किशन ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अपने धमाकेदार प्रदर्शन से झारखंड को चैंपियन बनाया और अगले ही दिन उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज और टी20 वर्ल्ड कप के लिए चुन लिया गया।

 

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अंतिम पंघाल

पेरिस ओलंपिक 2024 रेसलर अंतिम पंघाल के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। मेडल की प्रबल दावेदार पंघाल पहले ही राउंड में बाहर हो गईं। इसके बाद उन पर अपनी बहन को चुपके से ओलंपिक विलेज में ले जाने का आरोप लगा। पंघाल इन सब चीजों से टूट गई थीं और उनके मन में रेसलिंग से संन्यास लेने तक का ख्याल आया था। उनके परिवार और कोचों ने उन्हें मुश्किल से निकाला।

 

पंघाल ने मानसिक पीड़ा और चोट से उबरने के बाद एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज और UWW रैंकिंग सीरीज में गोल्ड मेडल जीता। यहीं नहीं उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में दूसरी बार ब्रॉन्ज जीता।

 

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शेफाली वर्मा

विध्वंसक ओपनर शेफाली वर्मा पिछले साल भारतीय वनडे टीम में अपना जगह गंवा बैठी थीं। निरंतरता की कमी की वजह से उनकी जगह प्रतिका रावल को आजमाया गया। प्रतिका ने स्मृति मंधाना का अच्छा साथ दिया लगभग हर मैच में टीम इंडिया को ठोस शुरुआती मिली, जिसके बाद शेफाली की वापसी मुश्किल हो गई।

 

WPL और घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन बल्लेबाजी के बावजूद महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025 के लिए शेफाली को नहीं चुना गया। हालांकि टूर्नामेंट के अंत में प्रतिका की चोट ने शेफाली के लिए दरवाजे खोल दिए। शेफाली साल भर बाद वनडे टीम में लौटीं और उन्होंने डायरेक्ट वर्ल्ड कप सेमीफाइनल और फाइनल खेला। सेमीफाइनल में वह नहीं चल पाईं लेकिन फाइनल में उन्होंने 87 रन बनाए और 2 विकेट लेकर भारत को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया।

 

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मुरली श्रीशंकर

लॉन्ग जम्पर श्रीशंकर मुरली ने चोट से वापसी कर धांसू प्रदर्शन किया। वह चोट के चलते पेरिस ओलंपिक से बाहर हो गए थे। उन्होंने कड़ी रिहैबिलिटेशन के बाद इस साल वापसी की। 12 जुलाई को पुणे में आयोजित इंडियन एथलेटिक्स मीट में श्रीशंकर ने गोल्ड जीता। इसके बाद उन्होंने पुर्तगाल और कजाकिस्तान में भी जीत हासिल की। ​​फिर वे भुवनेश्वर में वर्ल्ड एथलेटिक्स कॉन्टिनेंटल टूर ब्रॉन्ज लेवल मीट में चैंपियन बने।

 

24 अगस्त को वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई करने का आखिरी दिन था। श्रीशंकर ने नेशनल इंटर-स्टेट चैंपियनशिप में 8.06 मीटर की छलांग लगाई लेकिन वह ऑटोमेटिक क्वालिफिकेशन से 21 मीटर से चूक गए। हालांकि वर्ल्ड रैंकिंग के आधार पर उन्हें वर्ल्ड चैंपियनशिप का टिकट मिल गया। एक तरह से देखा जाए तो जो काम एक साल में होना था, उसे श्रीशंकर ने तकरीबन 40 दिन में ही पूरा कर लिया।

मीराबाई चानू

टोक्यो ओलंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट वेटलिफ्टर मीराबाई जानू से पेरिस ओलंपिक में भी मेडल की उम्मीद थी लेकिन वह चौथा स्थान ही हासिल कर पाईं। उन्होंने इस साल अहमदाबाद में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में महिलाओं के 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने नए भार वर्ग में खेलने के लिए वजन भी कम किया और 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालिफाई किया।

 

अक्टूबर में मीरबाई ने दाहिना अंगूठा चोटिल होने के बावजूद अपना तीसरा वर्ल्ड चैंपियनोशिप मेडल जीता। उन्हें कुल 199 किलोग्राम का भार उठाया। अगले एशियन गेम्स के बाद मीराबाई फिर से 53 किलोग्राम भार वर्ग में लौट सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह 2028 ओलंपिक में महिला वेटलिफ्टर्स के लिए न्यूनतम भार वर्ग है।