उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और मध्य प्रदेश के भिंड से दो चौंकाने वाली घटनाएं सामने आई हैं। लखनऊ में जहां एक बुजुर्ग दलित व्यक्ति के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए कथित तौर पर उन्हें पेशाब चाटने के लिए मजबूर किया गया। वहीं, भिंड में एक लड़के के साथ मारपीट करने के बाद उसे पेशाब पिलाई गई। दोनों ही मामलों में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों ही मामले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित राज्यों के हैं, जिसको लेकर विपक्षी दल सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
लखनऊ वाले मामले में पीड़ित रामपाल ने अपनी शिकायत में कहा, 'कल शाम मैं (लखनऊ के काकोरी इलाके में शीतला माता मंदिर में) पानी पी रहा था, तभी स्वामी कांत उर्फ पम्मू आया और मुझ पर पेशाब करने का आरोप लगाया। मैंने कहा कि मैंने पेशाब नहीं किया है, वहां पानी गिर गया है लेकिन वह नहीं माना और मुझे जातिसूचक शब्द कहे। उसने मुझे धमकाया और मुझे जमीन चाटने पर मजबूर किया।'
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रामपाल के पोते का बयान
रामपाल के पोते मुकेश कुमार ने कहा, 'मेरे दादाजी को सांस लेने में तकलीफ है। अगर उन्होंने दवाइयां नहीं लीं तो शायद उनकी जान नहीं बच पाएगी। कल शाम उन्हें खांसी आने लगी और इसी दौरान उन्हें थोड़ा पेशाब निकल गया। इसके बाद पम्मू वहां आया और मेरे दादाजी को जातिसूचक शब्द कहने लगा।'
मुकेश कुमार ने बताया कि इससे उसके दादा डर गए और जब उन्हें पेशाब चाटने को कहा गया तो उन्होंने उसे चाट लिया। इसके बाद, आरोपियों ने रामपाल से उस जगह को धोने को कहा और रामपाल ने तालाब के पानी से उस जगह को धोया। मुकेश ने कहा, 'मेरे दादाजी ने रात में परिवार में किसी को भी इस घटना के बारे में नहीं बताया। उन्होंने आज घटना के बारे में बताया जिसके बाद हमने पम्मू के खिलाफ मामला दर्ज कराया।' पोते ने यह भी बताया कि मुख्य मंदिर उस जगह से कम से कम 40 मीटर की दूरी पर है जहां उसके दादा ने गलती से पेशाब किया था।
आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज
स्वामी कांत उर्फ पम्मू के खिलाफ BNS की धारा 115(2), 351(3), 352 और SC/ST एट्रोसिटी ऐक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन धाराओं में जानबूझकर किसी को चोट पहुंचाना, धमकी और शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर किसी को अपमान करना शामिल है। पुलिस सूत्रों ने यह पूछे जाने पर कि क्या दलित व्यक्ति को वाकई पेशाब चाटने के लिए मजबूर किया गया था? इस पर पुलिस ने कहा कि यह जांच का विषय है। पीड़ित और आरोपी के बयान में अंतर है। पीड़ित कह रहा है कि उसे पेशाब चटाई गई है जबकि आरोपी कह रहा है कि उसे पेशाब चाटने के लिए नहीं, छूने के लिए मजबूर किया था। आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
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विपक्षी दलों का सवाल
इस घटना के बाद राजनीतिक घमासान छिड़ गया और विपक्षी दलों ने राज्य की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'किसी की भूल का अर्थ यह नहीं कि उसे अपमानजनक अमानवीय सजा दी जाए। परिवर्तन ही परिवर्तन लाएगा!'
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने एक पोस्ट में कहा, 'उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में RSS के कार्यकर्ता ने एक बुजुर्ग दलित व्यक्ति को अपना पेशाब चाटने पर मजबूर किया। बुजुर्ग व्यक्ति एक मंदिर प्रांगण में बैठा था, तभी बीमारी के कारण उसने गलती से पेशाब कर दिया। गुस्साए संघ कार्यकर्ता ने मौके पर पहुंचकर उसे जातिसूचक गालियां दीं और पेशाब चाटने पर मजबूर किया।'
पोस्ट में आगे कहा गया, 'बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में हुई यह घटना मानवता पर कलंक है। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। यह घटना आरएसएस-बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता का प्रतीक है। दलितों के प्रति नफरत उनके खून में है। इसलिए वे संविधान को खत्म करके देश में 'मनुवाद' लागू करना चाहते हैं, ताकि वे जाति के आधार पर लोगों का शोषण कर सकें।' हालांकि, पुलिस ने कहा कि आरोपी का संघ से कोई संबंध नहीं है।
मध्य प्रदेश में पिलाई पेशाब
एमपी के भिंड जिले में एक 25 साल के दलित लड़के को तीन लोगों ने अपहरण करके उसकी पिटाई करने के बाद उसे पेशाब पीने के लिए मजबूर किया। पुलिस ने बताया कि सोनू बरुआ, आलोक शर्मा और छोटू ओझा नाम के आरोपियों को SC/ST एट्रोसिटी ऐक्ट और BNS की कई धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के अनुसार, पीड़ित को ग्वालियर स्थित उसके ससुराल से अगवा करके एक एसयूवी में भिंड ले जाया गया। बताया यह गया है कि पीड़ित सोनू का ड्राइवर था और उसने कुछ समय पहले काम छोड़ दिया था। इसके बाद उसके साथ बेरहमी से मारपीट की गई।