भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का जहरीला कचरा हटा दिया गया है। इसे इंदौर के पीथमपुर ले जाया गया है। इसे लेकर पीथमपुर में जबरदस्त विरोध हो रहा है। शुक्रवार को धार जिले में बंद बुलाया गया है। धार के पीथमपुर में शुक्रवार को दुकानें और बाजार पूरी तरह से बंद हैं।
'पीथमपुर बचाओ समिति' ने यूनियन कार्बाइड के कचरे को यहां जलाने पर विरोध जताया है। समिति का दावा है कि इस कचरे को यहां जलाने से न सिर्फ यहां के लोगों के स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण को भी खतरा है। समिति ने ही शुक्रवार को पीथमपुर में बंद का ऐलान किया था।
पीथमपुर राजधानी भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर बने पीथमपुर में करीब 700 फैक्ट्रियां हैं। ये पूरा इलाका इंडस्ट्रियल है। यहां की आबादी 1.75 लाख है। स्थानीय लोग और समिति का दावा है कि यहां कचरा जलाना हानिकारक हो सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि कचरा जलाने से यहां कुछ नहीं होगा।
प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
जिस दिन से यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर में जलाने का फैसला लिया गया, उसी दिन से पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। शुक्रवार को भी पीथमपुर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहा है। पीथमपुर में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
बंद की वजह से शुक्रवार को पीथमपुर में दुकानें और बाजार बंद हैं। प्रदर्शनकारियों ने आयशर मोटर के पास सड़क को ब्लॉक कर दिया था। हालांकि, पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया। पीथमपुर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस तैनात हैं। बताया जा रहा है कि कचरा जलाने के विरोध में शुक्रवार को दो लोगों ने आत्मदाह करने की भी कोशिश की।
गुरुवार से बस स्टैंड पर भूख हड़ताल पर बैठे संदीप रधुवंशी ने कहा कि यूनियन कार्बाइड के कचरे का पीथमपुर में निपटान करने के विरोध में बहुत से लोग उनके साथ हैं।
यूनियन कार्बाइड का कितना कचरा?
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में 40 साल से 377 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जमा हुआ था। इस कचरे को खास जंबू बैग में पैक कर 12 कंटेनर में भरकर पीथमपुर लाया गया है।
गैस राहत और पुनर्विकास विभाग के डायरेक्टर स्वतंत्र सिंह ने बताया था कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो 3 महीने में कचरे का निपटान हो जाएगा, वरना इसमें 9 महीने का समय लग सकता है। उन्होंने बताया कि इंसिनरेटर से निकलने वाले धुएं को 4 परत वाले विशेष फिल्टर से गुजारा जाएगा, ताकि आसपास की हवा प्रदूषित न हो। उन्होंने बताया कि एक बार जब अपशिष्ट को जला दिया जाएगा तो इसे लैंडफिल साइट में दफना दिया जाएगा।
स्थानीय लोगों का दावा है कि 2015 में जब ट्रायल के तौर पर पीथमपुर में इस कचरे को जलाया गया था तो इससे आसपास की मिट्टी और पानी दूषित हो गए थे। हालांकि, सिंह ने उनके इस दावे को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि 2015 के ट्रायल की रिपोर्ट के आधार पर ही पीथमपुर में कचरा जलाने का फैसला लिया गया।
हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर को फैक्ट्री से जहरीले कचरे को हटाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने अधिकारियों को 4 हफ्ते का वक्त दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी यहां कचरा जमा है, जो एक और आपका का कारण बन सकता है। जस्टिस एसके कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था, 'हम ये नहीं समझ पा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर इस अदालत तक के आदेश के बावजूद कचरे को हटाने को लेकर कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया है।' अब इस मामले में 6 जनवरी को सुनवाई होगी।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने को लेकर स्थानीय लोग नाराज हैं। उन्हें डर है कि इससे उनके आसपास की हवा दूषित हो सकती है। हालांकि, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दावा किया है कि इससे कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कचरे में 60% मिट्टी और 40% नेफ्थॉल है, जिसका इस्तेमाल एक तरह के कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) बनाने में किया जाता है और ये बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है।
2-3 दिसंबर 1984 को हुआ था हादसा
2 और 3 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसो साइनेट गैस लीक हो गई थी। इससे 5,749 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि, लाखों लोग अपंग हो गए थे।