लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान अक्षय बम खूब चर्चा में रहे थे। मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अक्षय बम को टिकट दिया था लेकिन अक्षय ने आखिरी वक्त में अपना नामांकन वापस ले लिया। अक्षय बम बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए। अब इन्हीं अक्षय बम को हत्या के प्रयास से जुड़े एक मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने राहत दे दी है। 18 साल पुराने इस मामले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। इस केस में अक्षम बम के साथ-साथ उनके पिता भी आरोपी हैं।
यह मामला 2007 के एक जमीन विवाद का है। इसी विवाद में एक व्यक्ति पर कथित तौर हमला किया गया था और आरोप अक्षय बम और उनके पिता पर लगे थे। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव एस. कलगांवकर ने 4 अप्रैल को बम और उनके पिता कांतिलाल की याचिका पर जारी आदेश में कहा, ‘मुकदमे के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए निर्देश दिया जाता है कि (निचली अदालत में) मुकदमे की आगे की कार्यवाही केवल अगली सुनवाई की तारीख तक स्थगित रहेगी।’ इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 2 मई तय की गई है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला साल 2007 में इंदौर के खजराना क्षेत्र में हुए एक जमीन विवाद का है। उस वक्त इंदौर में जमीन विवाद के दौरान यूनुस पटेल नाम के शख्स पर हमला हुआ था। अक्षय बम और उनके पिता इसी हमले के आरोपी हैं। यूनुस पटेल का आरोप है कि बीजेपी नेता अक्षय बम के पिता कांतिलाल ने सिक्योरिटी एजेंसी चलाने वाले सतवीर सिंह को गोली चलाने के लिए कहा था। सतवीर ने कथित तौर पर 12 बोर की बंदूक से गोली चलाई थी। यह घटना 2007 की है और मुकदमे के दौरान सतवीर सिंह की मौत हो चुकी है।
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घटना के तुरंत बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (गाली-गलौज), 323 (मारपीट), 506 (धमकी) और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की थी। लगभग 17 साल बाद, अप्रैल 2024 में इस मामले ने एक नया मोड़ लिया जब पीड़ित यूनुस पटेल की याचिका पर अदालत ने एफआईआर में धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़ने का आदेश दे दिया। जिला अदालत ने हत्या के प्रयास के मामले में अक्षय बम और उनके पिता पर पिछले महीने आरोप तय कर दिए थे।
कौन हैं अक्षय बम?
अक्षय बम इंदौर के एक स्थानीय नेता हैं। वह 2024 के लोकसभा चुनाव में उस वक्त चर्चा में आए जब उन्होंने इंदौर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में आखिरी वक्त में अपना पर्चा वापस लेकर बीजेपी का दामन लिया था। उनके इस कदम ने पूरे प्रदेश में राजनीतिक हलचल मचा दी थी। विपक्ष ने इसे राजनीतिक सौदेबाजी बताया था जबकि बीजेपी ने इसे घर वापसी करार दिया था।
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हाई कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार के वकील को निर्देश दिया है कि केस डायरी और अन्य दस्तावेज अगली सुनवाई में प्रस्तुत किए जाएं। हाई कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 मई 2025 की तारीख तय की है। अब सबकी निगाहें 2 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। अब यह देखना होगा कि हाई कोर्ट निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक को आगे बढ़ाता है या नहीं। फिलहाल अक्षय बम और उनके पिता को राहत जरूर मिली है।