संजय सिंह, पटना: पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी के बयान को लेकर राष्ट्रीय जनता दल में बबाल मचा हुआ है। उन्होंने यहां तक कहा कि तेजस्वी यादव में प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका अदा करने की प्रतिभा नहीं है। राज्यपाल के अभिभाषण के समय उन्हें सदन में रहना चाहिए था। इस दौरान वह दिल्ली चले गए। अब यह बताया जा रहा है कि परिवार के साथ अब उनकी तैयारी यूरोप जाने की है। ऐसी स्थिति में वे पांच वर्षों तक विरोधी दल के नेता के रुप में कैसे काम करेंगे। 

 

विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने सीनियर लीडरों को दरकिनार कर दिया था। प्रदेश अध्यक्ष के पद से जगदानंद सिंह को हटाकर मंगनीलाल मंडल को अध्यक्ष पद पर बैठा दिया था। शिवानंद तिवारी पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। उन्हें भी हटाया गया। उन्हें कार्यकारिणी में भी जगह नहीं दी गई। विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के दौरान भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कोई राय मशविरा नहीं किया गया। लालू यादव जब पावर में थे तो शिवानंद तिवारी को पार्टी के भीतर महत्व मिलता था। अब तेजस्वी यादव पुराने लोगों को किनारे कर संजय यादव और मनोज झा को ज्यादा महत्व देने लगे हैं। चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल की हार से भी शिवानंद तिवारी काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि बिना संघर्ष किए तेजस्वी को सत्ता सुख मिलने लगा। इस कारण उनका मन सातवें आसमान पर चला गया। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को छोड़कर ऐसे वैसे लोगों को टिकट दिया गया। जिनका दूर-दूर तक रिश्ता आरजेडी के साथ नहीं था।

 

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लालू की तुलना धृतराष्ट्र से

चुनाव में आरजेडी की पराजय और गृह कलह के बाद लालू की राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई है। शिवानंद तिवारी ने कुछ दिन पहले लालू की तुलना धृतराष्ट्र से की थी। उन्होंने कहा था कि पुत्र मोह में लालू यादव अंधे हो गए हैं। वह हर हाल में अपने बेटे तेजस्वी को बिहार की सिंहासन पर बैठाना चाहते हैं। तेजस्वी यादव भी सपने में खोए हुए हैं। उनमें सच्चाई का सामना करने की हिम्मत नहीं है। वे चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेवारी लेने से भी बचते रहे हैं।

शरद के बेटे को नहीं दिया टिकट

शिवानंद तिवारी की नाराजगी का एक दूसरा कारण भी बताया जा रहा है। मधेपुरा विधानसभा सीट से शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। शिवानंद तिवारी भी बुंदेला की वकालत कर रहे थे, लेकिन जब टिकट बंटने की बारी आई तो तेजस्वी यादव ने मधेपुरा के पूर्व विधायक चंद्रशेखर को टिकट दे दिया। एक समय ऐसा था जब लालू यादव को सत्ता में स्थापित करने के लिए शरद यादव ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। राष्ट्रीय जनता दल को मजबूत करने में उनकी भूमिका अहम थी। शरद यादव के बेटे को टिकट नही मिलने से भी वह नाराज हैं।

 

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पूर्व आईपीएस पर किया केस

लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल के नेता तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास के खिलाफ पटना के सचिवालय थाना में शिकायत दर्ज कराई है। तेजप्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है कि दास अपने डिजिटल प्लैटफॉर्म के माध्यम से उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने निजी और पारिवारिक मामलों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। यह टिप्पणी माफ करने योग्य नही है। वह मेरी छवि को खराब करना चाहते हैं।