उत्तराखंड में होने वाली नंदा देवी राज जात यात्रा जिसे हिमालयी कुंभ भी कहा जाता है, यह यात्रा 12 सालों में एक बार होती है। इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा 'चार सींगों वाला भेड़' (चौसिंघा खडू) को माना जाता है। हाल ही में उत्तराखंड के चमोली जिले में चार सींग वाले भेड़ के बच्चे का जन्म हुआ है। इस भेड़ के बच्चे की उम्र लभगभ चार महीने के आसपास बताई जा रही है। चार सींग वाले नर भेड़ के जन्म से स्थानीय लोगों में धार्मिक उत्साह बढ़ गया है। स्थानीय लोग इस भेड़ के बच्चे को चौसिंघा खडू मानते हैं, जो पवित्र चार सींगों वाला मेढ़ा (भेड़ का बच्चा) है। यह 2026 में होने वाली नंदा देवी राज जात यात्रा का नेतृत्व कर सकता है। यह यात्रा 12 सालों में एक बार होती है। यह 280 किलोमीटर लंबी यात्रा 19 दिनों में पूरी की जाती है।
यह यात्रा मध्य हिमालय की सबसे पवित्र परंपराओं में से एक है। यह नंदा देवी की पौराणिक यात्रा को दर्शाती है, जो उनके मायके से उनके पति भगवान शिव के निवास कैलाश पर्वत तक जाती है। यह यात्रा नौटी गांव से शुरू होती है और अल्पाइन घास के मैदानों, हिमनदों और दूरदराज के गांवों से होकर रूपकुंड और होमकुंड जैसे पवित्र झीलों तक पहुंचती है।
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कहां मिला चार सींग वाला भेड़?
चार सींग वाले भेड़ के बच्चे का जन्म चमोली के कोटी गांव में रहने वाले हरीश लाल नामक शख्स के घर हुआ है। हरीश लाल 20 साल से बकरी पालन का काम कर रहे हैं। हरीश ने बताया कि जब इस भेड़ के बच्चे ने जन्म लिया तो उन्होंने देखा कि उसकी सींग दो अलग-अलग जोड़ियों में बंट गई है। हरीश के बेटे गौरव ने नंदा देवी यात्रा की बात करते हुए कहा, 'हम सालों से पशु पाल रहे हैं, ऐसा कभी नहीं हुआ। अगर समिति इसे चुनती है तो यह हमारी किस्मत होगी।' परिवार ने इस भेड़ के बच्चे को नंदा देवी राज जाट समिति को मुफ्त में दे दिया है।
भेड़ का क्या कनेक्शन है?
नंदा देवी राज जाट यात्रा में भेड़ का बच्चा, जिसे चौसिंघा खडू (चार सींगों वाला मेढ़ा) कहा जाता है, एक पवित्र प्रतीक के रूप में शामिल होता है। यह केवल एक जानवर नहीं, बल्कि नंदा देवी का दूत माना जाता है। इस यात्रा में यह मेढ़ा सबसे आगे चलता है और इसका महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा है।
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समिति के अध्यक्ष ने जताई खुशी
जब नंदा देवी यात्रा समिति को इसकी सूचना मिली तो उन्होंने कहा कि यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक की वापसी है। समिति अध्यक्ष ने कहा, 'चार सींगों वाला खडू अक्सर नहीं मिलता। जब मिलता है, तो इसका कोई मतलब होता है।' हालांकि, समिति के अध्यक्ष राकेश कुंवर ने कहा कि अंतिम फैसला शास्त्रों और रीति-रिवाजों के अनुसार होगा।
उन्होंने कहा, 'अब तक केवल मौदवी रस्म पूरी हुई है। पूरी योजना और चौसिंघा खडू का चयन बसंत पंचमी पर घोषित होगा।' मौदवी रस्म नौटी गांव में होने वाली एक पारंपरिक शुद्धिकरण और प्रार्थना की रस्म है, जो यात्रा की तैयारियों की शुरुआत करती है।