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तय कमीशन, अफसरों-नेताओं को रिश्वत... छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की कहानी

छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में ED ने पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। ऐसे में जानते हैं कि छत्तीसगढ़ का पूरा शराब घोटाला क्या है?

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस के पूर्व विधायक कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। कवासी लखमा छत्तीसगढ़ की पिछली कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री थे। बुधवार को लखमा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने 21 जनवरी तक लखमा को ED की हिरासत में भेज दिया है। 


गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले 28 दिसंबर को ED ने कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश की रायपुर, सुकमा और धमतरी जिलों में स्थित प्रॉपर्टी पर छापेमारी की थी। इस दौरान उनसे और उनके बेटे से पूछताछ भी की गई थी। बुधवार को ED ने लखमा को पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 

लखमा का दावाः झूठे केस में हुई गिरफ्तारी

गिरफ्तारी से पहले मीडिया से बात करते हुए लखमा ने दावा किया कि छापेमारी के दौरान ED को न तो कोई दस्तावेज मिला और न ही कोई पैसा। उन्होंने दावा किया कि उन्हें झूठे केस में फंसाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एक आदिवासी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।' लखमा ने आरोप लगाया कि राज्य में पंचायत चुनाव होने वाले हैं। इसलिए इससे दूर रखने के लिए गिरफ्तार किया गया।

ED ने क्या बताया?

ED ने बयान जारी कर दावा किया कि लखमा जब आबकारी मंत्री थे, तो आपराधिक कमाई से उन्हें बड़ा हिस्सा मिलता था। ED का दावा है कि लखमा को हर महीने नकदी मिलती थी। ED के मुताबिक, ये शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच तब हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार थी। जांच एजेंसी का कहना है कि इस घोटाले से सरकारी खजाने को 2,100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।


बयान में ED ने कहा, 'लखमा तत्कालीन सरकार में आबाकारी मंत्री थे और उनका पूरा नियंत्रण था। उन्हें अपने विभाग में हो रही अनियमितताओं के बारे में अच्छी तरह से पता था। फिर भी उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया, क्योंकि उन्हें इससे कमाई हो रही थी।'

 

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कैसे हुआ ये पूरा खेल?

छत्तीसगढ़ के इस कथित शराब घोटाले का मास्टरमाइंड अनवर ढेबर को माना जा रहा है। अनवर ढेबर रायपुर के मेयर रहे एजाज ढेबर का भाई है। ED के मुताबिक, अनवर ढेबर ने राजनेताओं और अफसरों से करीबी बढ़ाई। अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर अनवर ने छत्तीसगढ़ में एक ऐसा सिंडिकेट तैयार किया, जिससे शराब की हर बोतल की बिक्री से उसकी अवैध कमाई हो सके।


ED की मानें तो अनवर ढेबर ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के कमिश्निर और एमडी से करीबी बढ़ाई। उनकी मदद से CSMCL में अपने करीबियों विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह की नौकरी लगवाई। इस तरह से उसने छत्तीसगढ़ के शराब कारोबार पर कब्जा कर लिया। 

इन 3 तरीकों से हुआ खेल

- पहला तरीकाः ED के मुताबिक, CSMCL जो भी शराब खरीद रही थी, उसके सप्लायर्स से पूरा सिंडिकेट हर बोतल पर 75 से 150 रुपये की वसूली करता था।


- दूसरा तरीकाः अनवर ढेबर ने अपने लोगों के साथ मिलकर कच्ची शराब बनाई। इसे सरकारी दुकानों के जरिए बेचा। इस बिक्री का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा। सारी बिक्री नकद में होती थी।


- तीसरा तरीकाः शराब कारोबारियों और बाजार में एक तय हिस्सेदारी दिलाने के लिए कमीशन लिया जाता था। विदेशी शराब की सप्लाई करने वालों से भी एक तय कमीशन लिया जाता था।

 

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लखमा को हर महीने 50 लाख मिलते थे?

ED ने बताया कि अनवर ढेबर के करीबी अरविंद सिंह और CSMCL के तत्कालीन एमडी अरुण पति त्रिपाठी ने अपने बयानों में बताया है कि लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये दिए जाते थे। त्रिपाठी ने ये भी बताया है कि अनवर ढेबर ने लखमा को 1.50 करोड़ रुपये का भी भुगतान किया था।

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