देश के पहले उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की विरासत की जंग, अब पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय ओम प्रकाश चौटाला के पोस्टर तक पहुंच गई है। जंग भी ऐसी कि बात जूते तक पहुंच गई है। एक भाई यह कहने लगा है कि मेरे पैर में जूता आता है, दूसरा अपने जूते का नंबर बताता है। जूते को लेकर शुरू हुई यह बयानबाजी हरियाणा की सत्ता में इस समय आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

दोनों भाइयों के बीच बयानबाजी' की यह नौबत, ओम प्रकाश चौटाला के पोस्टर लगाने को लेकर आई है। अभय चौटाला और अजय चौटाला दोनों ही ओम प्रकाश चौटाला के पुत्र हैं, इनेलो जब एकजुट होती थी तो दोनों भाइयों के आपसी संबंध मजबूत थे। अब नौबत यह आ गई है कि गाहे-ब-गाहे किसी पारिवारिक समारोह या सामाजिक कार्यक्रम में मिल जाएं तो ठीक अन्यथा दोनों एक-दूसरे को देखना पसंद नहीं करते हैं। 

कुछ दिन पहले ओम प्रकाश चौटाला के पोस्टर जजपा द्वारा लगाए जाने के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर अभय चौटाला ने यह कहा था कि मेरे पैर में जूत आवे है। अभय चौटाला ने पोस्टर लगाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था, 'चौधरी ओम प्रकाश चौटाला जब गए थे, तब उस समय उनके बारे में खुलकर कहकर गए थे कि वो हमारे गद्दार हैं। हमारा गद्दार हमारा पोस्टर कैसे लगा सकता है। ये राजनीतिक पार्टी नहीं है, ये एक गिरोह है।' 

अपने छोटे भाई अभय चौटाला के बयान पर अजय चौटाला ने जवाब देते हुए कहा था कि, 'उस तरह की अभद्र भाषा  का इस्तेमाल उसी (अभय चौटाला) को इस्तेमाल करनी आती है। इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न मैं करता हूं, न मेरे बड़ों ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया है, न ही ये मेरे खून में है। जहां तक वे जूत की बात कर रहे थे कि मेरे पैरों में जूत आता है, तो किसी के 8 अंगुल की आती होगी, किसी के 10 अंगुल की आती होगी, मेरे तो 13 अंगुल का आता है। उससे बड़ा जूत किसी के पास हो तो मुझे बताए।'

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बवाल कैसे शुरू हुआ?
जजपा अध्यक्ष अजय चौटाला की ओर से एक आदेश जारी हुआ, जिसमें कहा गया कि पार्टी के सभी पोस्टरों में ओम प्रकाश चौटाला की तस्वीर लगेगी। अभय चौटाला ने इसके जवाब में कहा कि अगर उनके पिता की तस्वीर लगाएंगे तो 'मेरे पांव में जूत है।' अब पिता की पोस्टर को लेकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अध्यक्ष अभय चौटाला और जननायक जनता पार्टी (JJP) पार्टी के अध्यक्ष अजय चौटाला भिड़ पड़े हैं। 

इनेलो के प्रवक्ता डॉ. सतबीर सैनी ने खबरगांव के साथ बातचीत में कहा, 'अजय चौटाला गद्दार हैं। जब पिता जिंदा थे तो उनकी विरासत याद नहीं आई। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए पार्टी तोड़ दी। ऐसे लोगों को जूता ही पड़ना चाहिए। विरासत का अधिकार उसे है, जो विचारधारा के आधार पर पिता से गद्दारी न करे। इन्होंने पार्टी तोड़ी, नेताओं को तोड़ा, ओम प्रकाश चौटाला ने खुद इन्हें पार्टी से गद्दार कहकर निकाला, फिर ये किस मुंह से स्वर्गीय नेता जी के पोस्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं।'



जजपा का 'जूत' पर क्या है रिएक्शन
जेजीपी नेता दीपकमल सहारण ने खबरगांव के साथ बातचीत में कहा कहा, 'जूते की बात अशोभनीय है। हम गद्दार नहीं हैं। अक्तूबर 2018 में जजपा की नींव रखते ही अजय चौटाला ने कहा था कि हम ओम प्रकाश चौटाला की नीतियों पर ही राजनीति करेंगे। 40 साल उनके साथ रहे, उन्हीं से राजनीति सीखी, वही राजनीतिक गुरु थे, अब तो वह किसी पार्टी की सीमा में भी नहीं हैं, देह शांत पड़ गई है, अब हम अपने प्रतीक पुरुष की तस्वीर का इस्तेमाल करेंगे। जब वह इनेलो के अध्यक्ष थे, तब तक तो संवैधानिक बाध्यता थी कि हम उनकी तस्वीर को नहीं लगा सकते। अब यह बाध्यता खत्म हो गई है तो हम उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करेंगे।'

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जिगरी भाई, जूते तक कैसे पहुंच गए?
साल 2013 में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला को जूनियर बेसिक टीचर घोटाले में 10 साल की जेल हो गई। पिता-पुत्र जेल में थे तो अभय चौटाला ने पार्टी संभाल ली। साल 2014 में दुष्यंत चौटाला का राजनीतिक डेब्यु हुआ, हिसार लोकसभा से उन्हें सांसद चुन लिया गया। जब विधानसभा चुनाव हुए तो इंडियन नेशनल लोक दल की हार हो गई। दुष्यंत सांसद बने तो पार्टी दो खेमों में बंटी। उनका अपने चाचा से मतभेद हो गया। दुष्यंत चौटाला, अपने पिता की तर्ज पर पार्टी पर प्रभुत्व चाहते थे, दूसरी तरफ अभय चौटाला पार्टी के सर्वे-सर्वा बन गए थे। 



अक्तूबर 2018 में स्थितियां बिगड़ गईं। गोहाना की रैली में ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला के बाहर ही दुष्यंत चौटाला को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जाने लगा, लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। परिवार की कलह सामने आ गई। ओम प्रकाश चौटाला ने अनुशासनहीनता करार दिया, अजय चौटाला, दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को अपनी पार्टी से बाहर निकाल दिया।

सुलह की कोशिशें नाकाम रहीं। 2018 में पिता की सख्ती से आहत होकर अजय चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बनाई। 2019 में जजपा ने 10 सीटें जीतीं, दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने। 20 दिसंबर 2024 को जब ओम प्रकाश चौटाला का निधन हुआ तो उनकी अंतिम विदाई में परिवार साथ नजर आया। दोनों भाइयों के साथ आने की खबरें भी चलीं लेकिन यह महज अटकलें ही रहीं। पारिवारिक लड़ाई, जूता दिखाने तक आ गई। 



पिता-चाचा की लड़ाई पर दुष्यंत चौटाला ने क्या कहा?

दुष्यंत चौटाला ने 17 मई को एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, 'जननायक जनता पार्टी बनाने के पहले दिन ही हमने ये स्पष्ट किया था कि दूसरे दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने की वजह से हम चौधरी ओमप्रकाश चौटाला जी की तस्वीर नहीं लगा पा रहे हैं और जिस दिन यह कानूनी बाध्यता नहीं रहेगी, उसी दिन से हम उनकी तस्वीर अपने पोस्टर पर लगाएंगे। स्वर्गीय चौधरी ओमप्रकाश चौटाला जी हम सबके आदर्श और राजनीतिक गुरु हैं और वे हमारे लिए हमेशा आदरणीय रहे हैं और रहेंगे।' उन्होंने 9 दिसंबर 2018 का एक वीडियो भी इसे साबित करने के लिए शेयर किया। वह जींद जिले के पांडु पिंडारा गांव में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। अब दोनों दलों के बीच सियासी बयानबाजी बढ़ती जा रही है।