मध्य प्रदेश का इंदौर शहर देश का सबसे साफ शहर माना जाता है। इस उपलब्ध के लिए यह शहर लगातार 8 साल से भारत सरकार से सम्मानित हो चुका है। अब इसी शहर में नगर निगम की ओर से सप्लाई किए जाने वाले पानी को पीकर लगभग आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार ने 3 मौतों की पुष्टि की है लेकिन इंदौर के मेयर पुष्य मित्र भार्गव का कहना है कि 7 से 8 लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं और ज्यादातर लोग दूषित पानी पीने के चलते डायरिया के शिकार हो गए हैं। विपक्षी कांग्रेस का कहना है कि इस दूषित पेयजल कांड ने देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की छवि पर दाग लगा दिया है लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती की जा रही है। इसी केस में दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है और एक इंजीनियर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। 

 

स्थानीय लोगों का दावा है कि दूषित पानी पीने के कारण उल्टी-दस्त की वजह से 8 लोगों की जान चली गई। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक डायरिया के चलते सिर्फ 3 लोगों की मौत की पुष्टि की है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी पीने से बीमार पड़ने के बाद पिछले एक हफ्ते में कुल 8 लोगों की जान गई है जिसमें 6 महिलाएं शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि भागीरथपुरा क्षेत्र में नंदलाल पाल (70), उर्मिला यादव (60) और तारा कोरी (65) की डायरिया से मौत हो गई हुई है।

 

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क्या बोले मेयर?

 

बुधवार को इंदौर के मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा, 'स्वास्थ्य विभाग ने अधिकृत रूप से 3 लोगों के मरने की पुष्टि की है लेकिन मेरी जानकारी में 7 लोगों की मौत हो गई है। 36 लोग डिस्चार्ज हुए हैं और 116 से ज्यादा लोगों के बीमार होने की खबर है। इंदौर नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग लगातार लोगों के बीच रहकर उनकी मदद करने का प्रयास कर रहा है। हमारी प्राथमिकता है कि लोग अच्छे इलाज के साथ जल्दी ठीक हो जाएं। हम दुख की घड़ी में इनके साथ हैं। माननीय मुख्यमंत्री ने भी इस घटना का संज्ञान लिया है। एक प्वाइंट मिला है, मुझे लगता है कि और भी हो सकते हैं तो नगर निगम की टीम सफाई करके कार्रवाई कर रही है ताकि शहर में हर जगह गंदे पानी की शिकायत दूर हो सके।'

 

 

 

अब तक क्या ऐक्शन हुआ?

 

इस घटना पर राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजन को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने और सभी मरीजों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार की ओर से उठाए जाने की घोषणा की है है। प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भागीरथपुरा क्षेत्र में नगर निगम के एक जोनल अधिकारी और एक असिस्टेंट इंजीनियर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है जबकि एक प्रभारी सब-इंजीनियर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। अधिकारी ने बताया कि दूषित पेयजल कांड की जांच के लिए एक IAS अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।

 

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इस घटना के बारे में नगर निगम आयुक्त दिलीप कुमार यादव ने बताया कि भागीरथपुरा में पानी की सप्लाई वाली मुख्य पाइपलाइन में उस जगह पर लीकेज पाया गया है, जिसके ऊपर एक शौचालय बना हुआ है। उन्होंने कहा कि संभवतः इसी लीकेज के कारण पेयजल दूषित हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, अरबिंदो अस्पताल के ICU में 3 मरीज भर्ती हैं और इसी अस्पताल में 100 बेड की अलग यूनिट का भी इंतजाम किया गया है। 

 

अरबिंदो अस्पताल के अलावा, ESIC अस्पताल, त्रिवेणी हॉस्पिटल, MYH और वर्मा हॉस्पिटल में भी कई मरीज एडमिट हैं। CHMO डॉ. माधव हसानी के मुताबिक, ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद 2703 घरों का सर्वे करके 12 हजार से ज्यादा लोगों की जांच की गई है। 1146 मरीजों को मौके पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया है।

 

इस बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने आरोप लगाया कि प्रशासन दूषित पेयजल कांड में अपनी गंभीर लापरवाही छिपाने के लिए मृतकों का वास्तविक आंकड़ा छिपा रहा है। उन्होंने कहा, ‘दूषित पेयजल कांड ने देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की छवि पर बदनुमा दाग लगा दिया है लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज लीपापोती की जा रही है।’