मध्य प्रदेश का इंदौर शहर लगातार 8 साल से देश का सबसे स्वच्छ शहर होने का खिताब अपने नाम करता आया है। अब इसी शहर में गंदा पानी पीने की वजह से 30 से ज्यादा लोग बीमार पड़ गए हैं। पानी पीने के बाद इन लोगों को उल्टी, दस्त और शरीर में पानी की कमी जैसी दिक्कतें हुईं और वे अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हुए हैं। लोगों का शिकायत है कि वे नगर निगम की ओर से सप्लाई किए जाने वाला पानी पीने के बाद बीमार पड़े हैं। मामला गंभीर होने के बाद पानी का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया है। इस मामले में इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्हव ने कहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
अधिकारियों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि सभी मरीजों का तुरंत इलाज करावाय जाए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. माधव प्रसाद हासानी ने को बताया कि शहर के भागीरथपुरा क्षेत्र के कम से कम 32 लोग अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। उन्होंने बताया, ‘मरीजों का कहना है कि दूषित पानी पीने के बाद उन्हें उल्टी-दस्त और शरीर में पानी की कमी की दिक्कतें शुरू हो गईं।’ रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक अस्पताल में भर्ती हुए लोगों में से एक बुजुर्ग की मौत भी हो गई है।
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क्या बोले इंदौर के मेयर?
डॉ. माधव प्रसाद हासानी ने बताया कि भागीरथपुरा क्षेत्र से पेयजल के नमूने लिए गए हैं जिनकी जांच रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर आएगी। भागीरथपुरा के लोगों का कहना है कि वे नगर निगम के नल कनेक्शन के जरिये घर-घर पहुंचने वाला नर्मदा नदी का पानी पीने से बीमार हुए। मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया,‘हमने इस पानी के नमूने लेकर जांच के लिए भिजवाए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।'
स्थानीय निवासियों का यह भी कहना है कि लंबे समय से गंदे पानी की शिकायत की जा रही है लेकिन इस समस्या का कोई हल नहीं निकाला गया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाल ही में जोन-8 में शंख, घंटी बजाकर और मटके फोड़कर विरोध प्रदर्शन भी किया था। लोगों का कहना है कि पिछले 8-10 दिन से लगातार लोग बीमार पड़ रहे हैं लेकिन प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है।
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आपको बता दें कि इंदौर शहर अपनी पानी की जरूरतों के लिए नर्मदा नदी पर निर्भर है। नगर निगम की बिछाई पाइपलाइन के जरिए नर्मदा नदी के पानी को पड़ोसी खरगोन जिले के जलूद से 80 किलोमीटर दूर इंदौर लाकर घर-घर पहुंचाया जाता है।