संजय सिंह, पटना: पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी विधानसभा चुनाव के समय से ही एनडीए से गुस्सा हैं। उनकी मांग के हिसाब से उन्हें विधानसभा की सीटें भी नहीं मिली थीं। अब उनकी नजर राज्यसभा की खाली होनेवाली पांच सीटों पर है।
उनका कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें राज्यसभा में एक सीट देने का वादा किया था। मांझी ने गया जी की सभा में अपने पुत्र को नसीहत दी थी कि उन्हें राज्यसभा की एक सीट मांगनी चाहिए। यदि उनकी मांग पर विचार नहीं होता है तो फिर वे अपना रास्ता एनडीए से अलग करेंगे, लेकिन मांझी के पुत्र व हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार का कहना है कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है।
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मांझी क्यों रहते हैं नाराज
विधानसभा चुनाव में जीतनराम मांझी अपनी पार्टी के लिए 15 से 20 सीटों की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि अब तक उनकी पार्टी को मान्यता नहीं मिली है। यदि उनकी पार्टी 10 से 15 सीटों पर जीत जाती है या छह प्रतिशत वोट मिल जाता है तो उनकी पार्टी को मान्यता मिल जाएगी, लेकिन एनडीए में मांझी की बातें नहीं सुनी गईं। उन्हें मात्र छह सीटें दी गईं, जबकि मांझी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एलजेपी (आर) को 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला। यह मांझी के लिए सबसे बड़ा राजनीतिक झटका था।
चिराग और मांझी दोनों बिहार में दलित की राजनीति करते हैं। मांझी ने चुनाव के दौरान भी गंभीर नाराजगी जताई थी पर उनकी नाराजगी को एनडीए के नेताओं ने हवा में उड़ा दिया। इससे मांझी की नाराजगी और बढ़ गई। वे समय-समय पर नीतीश कुमार की तारीफ करने लगे। अब उनकी नजर अप्रैल 2026 में राज्यसभा की खाली होनेवाली पांच सीटों पर है। मांझी चाहते हैं कि राज्यसभा की एक सीट उनके खाते में भी आए। उन्हें इस बात की भनक है कि राज्यसभा की एक सीट चिराग पासवान भी चाहते हैं। चिराग अपनी मां को राज्यसभा में भेजना चाहते हैं।
बेटे को दी पद छोड़ने की नसीहत
मांझी ने गया जी में आयोजित अपनी पार्टी के कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार को यह नसीहत दी थी कि एनडीए के नेताओं के समक्ष उन्हें अपनी मांगों को मजबूती के साथ उठाना चाहिए, लेकिन ये अपनी मांगों को उठाने में पीछे रह जाते हैं। यही कारण है कि इनके हिस्से में कुछ नहीं आता है। इन्हें अपने दल के लिए राज्यसभा की एक सीट की मांग करनी चाहिए। यदि सीट नहीं मिलती है तो एनडीए से अपना रास्ता अलग करने में पीछे नहीं रहना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर मंत्री पद भी छोड़ा जा सकता है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो बिना मंत्री बने राजनीति कर रहे हैं। मंत्री बनने से कोई बड़ा नहीं हो जाता।
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बेटे ने दिया जवाब
जीतनराम मांझी के पुत्र और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार ने अपने पिता के सुझाव को ही नकार दिया है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा जाना उनके लिए कोई मुद्दा नहीं है। एनडीए में कोई भी निर्णय मिल बैठकर किया जाता है। इन सब बातों की चर्चा सार्वजनिक मंच से नहीं होनी चाहिए। किसको क्या मिलेगा इसका फैसला एनडीए के नेता करेंगे। बेटे के इस रूप को देखते हुए राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा होने लगी है कि यह राजनीतिक लड़ाई मांझी के घर में ही शुरू हो गई है।
