logo

ट्रेंडिंग:

2026 में बदल जाएगी राज्यसभा की तस्वीर, BJP को फायदा, विपक्ष को झटका लगना तय

भारतीय संसद के उच्च सदन में 2026 में कई सीटें खाली हो रही हैं। इन सीटों पर चुनाव होंगे तो राज्यसभा का शक्ति संतुलन भी बदल जाएगा। कई दिग्गजों की संसद से विदाई हो सकती है।

Indian Parliament

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: SORA

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

साल 2025 में देश में कई अहम चुनाव हुए। साल के शुरुआत में आम आदमी पार्टी की दिल्ली से विदाई हुई तो नवंबर में बिहार में नीतीश कुमार की फिर से बंपर जीत के साथ वापसी हुई। अगले साल केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके साथ ही 2026 में राज्यसभा की 75 सीटों पर चुनाव होंगे और इन चुनावों का असर देश की राजनीति पर और कई दिग्गज राजनेताओं के करियर पर पड़ने वाला है। कई नेताओं की विदाई राज्यसभा से होने वाली है तो कई नेता अपनी कुर्सी बचाने के लिए अभी से जोड़-तोड़ में लग गए हैं। 

 

मौजूदा समय में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए के पास कुल 129 सीटें हैं, जबकि विपक्ष के पास 78 सीटें हैं।  बिहार से राज्यसभा की पांच और उत्तर प्रदेश से दस सीटें खाली होंगी। इसके अलावा, महाराष्ट्र, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कई पूर्वोत्तर राज्यों में भी सीटें खाली होंगी। इन सीटों पर चुनाव होंगे तो राज्यसभा में सत्ता का संतुलन बदल सकता है। उत्तर प्रदेश में मायावती की पार्टी बहुजन समाजवादी पार्टी(बीएसपी) के राज्यसभा सांसद रामजी गौतम का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है लेकिन पार्टी के पास अब इतने विधायक नहीं हैं कि राज्यसभा में किसी को भेज सके।


यह भी पढ़ें: कृषि कानूनों की तरह वापस होगा VB-G RAM G? कांग्रेस का CWC एजेंडा तैयार

बिहार में विपक्ष को लगेगा एक और झटका 

नवंबर 2025 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के महागठबंधन को बड़ा झटका लगा था। सत्ता में आने का सपना देख रहे तेजस्वी यादव नेता विपक्ष भी बड़ी मुश्किल से बन पाए। बिहार में 9 अप्रैल 2026 को 5 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इनमें आरजेडी के प्रेम चंद गुप्ता, अमपेंद्र धारी, जेडीयू के हरिवंश नारायण सिंह, रामनाथ ठाकुर और आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा रिटायर हो रहे हैं। इन पांच सीटों में से चार सीटों पर एनडीए की जीत सुनिश्चित है। इन सीटों के लिए एनडीए के घटक दलों में अभी से हंगामा शुरू हो गया है। उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी इस उम्मीद में हैं कि उन्हें एनडीए के खेमे से राज्यसभा में सीट मिलेगी। जीतन राम मांझी तो खुलकर कह रहे हैं कि अगर राज्यसभा में जगह नहीं दी गई तो वह एनडीए गठबंधन छोड़ देंगे। चिराग अपनी मां को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। एनडीए में सीट किसे मिलेगी इस पर अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है।

 

दूसरी तरफ विपक्षी महागठबंधन एक सीट भी जीत पाएगा, इसकी संभावनाएं बहुत कम हैं। आरजेडी कांग्रेस और अन्य सहयोगियों के विधायक मिलकर भी सिर्फ 35 ही होते हैं लेकिन राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए कम से कम 41 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। अगर महागठबंधन को एक सीट जीतनी है तो अन्य विपक्षी विधायकों के सहारे की जरूरत होगी। । अगर असुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के 5 विधायक और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के एक विधायक का साथ मिले तो महागठबंधन एक सीट जीत सकता है। हालांकि, इसकी संभावनाएं कम ही नजर आ रही हैं क्योंकि बीजेपी इससे पहले कई बार क्रॉस वोटिंग के जरिए चुनाव जीत चुकी है। 

बीएसपी पहली बार '0'

उत्तर प्रदेश के 10 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है। इनमें बीजेपी के बृजलाल, सीमा द्विवेदी, चंद्रप्रभा उर्फ गीता, हरदीप सिंह पुरी, दिनेश शर्मा, नीरज शेखर, अरुण सिंह और बीएल वर्मा शामिल हैं। वहीं, बहुजन समाज पार्टी के रामजी गौतम और समाजवादी पार्टी की ओर से प्रो. रामगोपाल यादव का कार्यकाल शामिल है। अगर उत्तर प्रदेश विधानसभा की मौजूदा स्थिति को देखा जाए तो इन चुनावों की तस्वीर साफ हो जाती है। इन चुनावों में बीजेपी के खाते में 8 और समाजवादी पार्टी के खाते में 2 सीटें आ सकती हैं। मायावती की पार्टी बीएसपी के पास केवल एक विधायक है, जिसके चलते पार्टी को राज्यसभा चुनाव में जीत नहीं मिल सकती। 1984 में बीएसपी के गठन के बाद से पहली बार ऐसा होगा कि पार्टी का कोई भी प्रतिनिधि संसद के दोनों सदनों में नहीं है।

शरद पवार की भी होगी छुट्टी

बिहार की ही तरह महाराष्ट्र में भी विपक्षी गठबंधन की करारी हार हुई थी। महाराष्ट्र की सात राज्यसभा सीटों पर 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे। शरद पवार, प्रियंका चतुर्वेदी और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले जैसे प्रमुख नेताओं का कार्यकाल खत्म हो रहा है। सात में से ज्यादातर सीटों पर बीजेपी और एनडीए को जीत मिल सकती है। शरद पवार और प्रियंका चतुर्वेदी की संसद में वापसी बहुत मुश्किल नजर आ रही है। कांग्रेस के पास विपक्षी दलों में सबसे ज्यादा विधायक हैं लेकिन पार्टी अकेले दम पर राज्यसभा की सीट नहीं जीत सकती। अगर कांग्रेस अन्य दलों के साथ बातचीत करके विपक्ष को एकजुट कर ले तो महाराष्ट्र में विपक्ष को एक सीट मिल सकती है। 

बीजेपी के लिए भी चुनौती

भारतीय जनता पार्टी का संख्या बल 2026 में राज्यसभा में बढ़ना तय माना जा रहा है। वर्तमान में राज्यसभा में एनडीए के 129 सांसद हैं, जबकि विपक्ष के पास 78 सदस्य हैं। 2026 के चुनाव के बाद बीजेपी की सीटों में 4 से 5 की बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसके बावजूद बीजेपी के सामने अपने दिग्गजों को फिर से सदन में लाने और नए चेहरों को मौका देने की चुनौती होगी। मोदी सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों का राज्यसभा कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है। इनमें रवनीत सिंह बिट्टू, जॉर्ज कुरियन, बीएल वर्मा, हरदीप सिंह पुरी बीजेपी से तो रामदास अठावले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया से और जेडीयू से रामनाथ ठाकुर शामिल हैं। एनडीए के सामने चुनौती है कि इन सभी चेहरों के साथ-साथ नए चेहरों को किस तरह से मौका दिया जा सकता है।

 

यह भी पढ़ें: कर्नाटक: लोकसभा-विधानसभा में एक, निकाय में अलग, BJP और JD(S) में यह कैसा गठबंधन?

कांग्रेस की बढ़ेंगी मुश्किलें

अगले साल होने वाले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सीनियर नेता दिग्विजय सिंह का कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है। कांग्रेस को कर्नाटक की तीन तो तेलंगाना की दो सीटों के साथ कुल 8 से 10 सीटों पर जीत मिल सकती है लेकिन पार्टी में दावेदारों की संख्या बहुत ज्यादा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से वापसी कर सकते हैं तो दिग्विजय को मध्य प्रदेश से मौका मिलने की संभावना है। हालांकि, पार्टी में अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेता भी लंबे समय इंतजार कर रहे हैं। पवन खेड़ा और कन्हैया कुमार जैसे नेताओं के नाम पर भी चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार कुछ नए चेहरों को भी राज्यसभा भेज सकती है। 


और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap