राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत गई और 27 घायल हैं। एक ही पल में कई परिवारों के बच्चे छिन गए। हादसे में अपने बच्चों को गंवाने वाले परिवार दुख में हैं। रोती हुई माएं कह रही हैं कि उनके जीवन में अब कुछ नहीं बचा है। एक मां ने इस हादसे में अपने 2 बच्चो को खोया है, उसका कहना है कि भगवान ने उसके बच्चों की बजाय उसकी जान ले ली होती तो अच्छा होता।
परिवारों को बच्चों के शव सौंप दिए गए हैं। माता-पिता उन्हें गले लगाकर रोते हुए उनसे वापस उठने की गुजारिश कर रहे हैं। वहीं कुछ बस चुपचाप उनके शवों के पास बैठे हैं।
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर सही समय पर एक्शन लिया जाता तो हादसा टाला जा सकता था। एक छात्रा ने छत को लेकर टीचर को आगाह किया था पर उसकी बात नहीं सुनी गई।
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टीचर पोहा खाती रही
एक स्टूडेंट ने पत्रकारों को बताया कि हादसे के दिन जब वे स्कूल पहुंचे तो टीचर ने उन्हें क्लासरूम में इंतजार करने को कहा। तभी छत से कुछ कंकड़ गिरे, इस बात की जानकारी तुरंत एक स्टूडेंट ने टीचर को दी। ये सुनकर टीचर ने उसे कहा, 'कुछ नहीं गिर रहा है'। हालांकि, बाद में छत गिर गई। हादसे में बाल-बाल बची छात्रा ने बताया कि जब छत गिरी तब टीचर पोहा खा रही थी।
छात्रों के मुताबिक उन्होंने कई बार छत को लेकर शिकायत की थी पर उस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। वहीं झालावाड़ कलेक्टर अजय सिंह का कहना है कि जिला प्रशासन ने हाल ही में शिक्षा विभाग से ऐसा स्कूलों की लिस्ट मांगी थी जिन्हें मरम्मत की जरूरत है लेकिन उस लिस्ट में उस स्कूल का नाम नहीं था।
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हादसे के बाद अब तक क्या हुआ?
हादसे के बाद से स्कूल स्टाफ के 5 सदस्यों को सस्पेंड कर दिया गया है। राजस्थान के मुख्य्मंत्री भजनलाल शर्मा ने एक हाई लेवल मीटिंग की। इसमें अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे सुनिश्चित करें कि ऐसे हादसे फिर न हों। हादसे के बाद प्रशासन की तरफ से आदेश जारी किया गया है कि जर्जर स्कूलों में बच्चों को न बैठाया जाए।
हादसे के बाद से स्कूल स्टाफ के 5 सदस्यों को सस्पेंड कर दिया गया है। राजस्थान के मुख्य्मंत्री भजनलाल शर्मा ने एक हाई लेवल मीटिंग की। इसमें अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे सुनिश्चित करें कि ऐसे हादसे फिर न हों।
वहीं, राजस्थान की टीचर्स यूनियन ने 5 अध्यापकों को बर्खास्त किए जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि जर्जर इमारतें देखने का काम अध्यापकों का नहीं है उन्हें बेवजह फंसाया जा रहा है। वहीं बचाव कार्य के बाद जेसीबी से पहले मलबा हटाया गया और फिर प्रशासन ने जेसीबी से पूरा स्कूल भवन गिरा दिया।
झालावाड़ में स्कूल हादसे के बाद पीपलोद गांव में मुख्य रास्ते पर ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने रास्ता रोक कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस ने समझाइश कर रास्ता खुलवाया।