झारखंड की राजधानी रांची में बन रहा एक फ्लाइओवर अब विवाद की वजह बन गया है। आदिवासी समुदाय के कई संगठनों ने आज यानी बुधवार को झारखंड बंद का आह्वान किया है। इस विवाद और प्रदर्शन की वजह फ्लाइओवर का एक रैंप है। यह रैंप आदिवासियों की आस्था के लिए बेहद अहम 'सरना स्थल' के पास बनाया जाना है। कई दिनों से इसका विरोध कर रहे लोगों ने अब सड़क पर उतरने और झारखंड बंद करने का ऐलान किया। इसी के तहत प्रदर्शनकारियों ने बुधवार सुबह ही बिजूपाड़ा के पास रांची-डाल्टनगंज रोड को बंद करके प्रदर्शन किया। प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए रांची समेत झारखंड के बाकी हिस्सों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

 

इससे पहले, कई संगठनों ने मंगलवार शाम को रांची में मशाल जुलूस निकाला और सिरम टोली में नवनिर्मित रैंप को तत्काल हटाने की मांग की। उनका दावा है कि यह रैंप उनके धार्मिक स्थल तक पहुंचने में बाधा उत्पन्न कर रहा है और ट्रैफिक के कारण इसकी पवित्रता प्रभावित हो सकती है। उनकी अन्य मांगों में राज्य में अनुसूचित जनजाति समुदाय के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा, पेसा अधिनियम का कार्यान्वयन और आदिवासी भूमि पर अतिक्रमण हटाना शामिल है।

 

यह भी पढ़ें- हरियाणा कांग्रेस की बैठक में आमने-सामने होंगे अशोक तंवर और हुड्डा


फ्लाइओवर का रैंप क्यों निशाने पर है?

 

दरअसल, रांची ग्रामीण क्षेत्र में बना यह फ्लाइओवर 2.34 किलोमीटर लंबा है और इसमें रेलवे लाइन के पास बना 132 मीटर का रैंप भी शामिल है। यह सिरम टोली को मेकॉन से जोड़ेगा और इसका उद्देश्य क्षेत्र में ट्रैफिक मूवमेंट को आसान बनाना है। 340 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली एलिवेटेड रोड परियोजना की शुरुआत अगस्त 2022 में की गई थी। इस फ्लाइओवर का रैंप वाला हिस्सा सरना स्थल के मुख्य गेट के ठीक सामने ही खत्म हो रहा है। इसके चलते गेट के सामने ही सड़क की चौड़ाई कम हो गई है जो बड़े आयोजनों के समय समस्या पैदा कर सकती है।

 

 

इसी रैंप के खिलाफ आदिवासी 3 जून को जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम में इकट्ठा हुआ। इन लोगों ने एक जुलूस भी निकाला और आरोप लगाए कि सरकार उनकी चिंताओं और भावनाओं की अनदेखी कर रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब सरहुल जैसे धार्मिक त्योहारों के दौरान हजारों लोग एकत्र होंगे तो रैंप के कारण पवित्र स्थल तक पहुंचने में बाधा आएगी। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों से यातायात को बाधित न करने का आग्रह किया है।

 

यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश: इको वैन पर पलटा ट्रक, एक ही परिवार के 9 लोगों की मौत

 

इससे पहले 22 मार्च को 18 घंटे का रांची बंद बुलाया गया था, जिससे राजधानी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ था। मार्च में बंद के दौरान, आंदोलनकारियों की हिनू और अरगोड़ा इलाकों सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में पुलिस के साथ झड़प हुई थी जबकि हरमू, कांके, हिनू, कोकर-लालपुर, कांटाटोली और अन्य इलाकों में सड़कों को बांस के अस्थायी बैरिकेड से बंद भी कर दिया गया था।

 

प्रदर्शन का आह्वान करने वाले संगठनों का कहना है कि इस दौरान दवा की दुकानों, जरूरी सेवाओं, एंबुलेंस और अस्पताल जाने वाली गाड़ियों को नहीं रोका जाएगा। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार इस मामले पर घिरती दिख रही है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी इस मुद्दे को उठा रही है। बीजेपी नेता और राष्ट्रीय अनुसूचिज जनजाति आयोग की सदस्य डॉ. आशा लाकड़ा भी सिमरटोली सरना स्थल का दौरान करने पहुंचीं। निरीक्षण के बाद उन्होंने यह भी कहा कि रैंप को छोटा किया जा सकता है।

मार्च में कम की गई थी लंबाई

 

इससे पहले, मार्च 2025 में इस रैंप को 6 मीटर छोटा करने का फैसला लिया गया था और सरना स्थल के गेट के सामने का हिस्सा हटाया भी गया था। तब खुद केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की सरना स्थल पहुंचे थे और कहा था कि सिरहुल के मौके पर निकलने वाली शोभा यात्रा में कोई परेशानी नहीं होगी।