दिल्ली के कालकाजी मंदिर में शुक्रवार को एक सेवादार की कुछ लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। रात 9 से 9.30 बजे के बीच दर्शन करने आए कुछ श्रद्धालुओं ने चुन्नी प्रसाद को लेकर हंगामा कर दिया। सेवादार से उन्होंने चुन्नी प्रसाद मांगा, जिसे न देने पर झगड़ा हुआ और लोगों ने सेवादार को पीटना शुरू कर दिया। 

सेवादार की मंदिर में ही हत्या कर दी गई है। पुलिस ने अतुल पांडे नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है। मृतक का नाम योगेंद्र सिंह है। उसकी उम्र करीब 35 साल थी। वह यूपी के हरदोई जिले का रहने वाला था। वह बीते 14 साल से मंदिर में सेवादार था।

यह भी पढ़ें: जिस यूट्यूबर ने की जुर्म से दूर रहने की अपील, सेंधमारी में पकड़ा गया

चुन्नी प्रसाद नहीं दिया तो पीटकर मार डाला  

दिल्ली पुलिस के मुताबिक मंदिर से 9.30 पर एक कॉल आई। शुक्रवार रात पुलिस आनन-फानन घटनास्थल पर पहुंची। लोगों से पूछताश शुरू हुई तो पता चला कि सेवादार की हत्या हुई है। कुछ लोग मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। दर्शन के बाद उन्होंने चु्न्नी प्रसाद मांगा। सेवादार से उनकी बहस हुई। आरोपी ने उस पर हमले करने शुरू कर दिए। लाठी-डंडे से पीटा। 

पुलिस ने दर्ज किया केस 

आनन-फानन में इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया लेकिन शख्स ने इलाज के दौरान ही दम तोड़ दिया। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 (1), 3 (5) के तहत केस दर्ज कर लिया है। पुलिस ने बताया है कि आरोपी अतुल पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी उम्र 30 साल है। वह दक्षिणपुरी इलाके का रहने वाला है। 

यह भी पढ़ें: महिला को जबरन तेजाब पिलाया, ससुराल वालों पर दहेज हत्या का आरोप

आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस

कालकाजी मंदिर में मौजूद लोगों ने ही अतुल पांडे को पकड़ लिया था। अब आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है। उससे पूछताछ की जा रही है। हमले में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जा रही है। पुलिस उनकी धर-पकड़ में जुड़ी हुई है। 

कालकाजी मंदिर प्रसिद्ध क्यों है?

कालकाजी मंदिर देवी काली को समर्पित मंदिर है। यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली में पड़ता है। पास में ही लोटस टेंपल भी है। इस मंदिर के नाम पर ही कालकाजी इलाके का नाम पड़ा है। यह मंदिर नेहरू प्लेस मार्केट सेंटर के सामने है। दिल्ली मेट्रो का स्टॉपेज भी, इसी नाम से से है। यह दिल्ली के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। यहां हर दिन हजारों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी काली प्रकट हुईं थीं। देवी काली की एक स्वयंभू प्रतिमा यहां विराजमान है। महाभारत के मुताबिक इंद्रप्रस्थ की स्थापना के वक्त कृष्ण ने पांडवों के साथ सूर्यकूट पर्वत पर पूजा की थी। बाद में यह मंदिर जयंती काली के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।