उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात की अदालत ने बुधवार को 2007 से लंबित पड़े एक केस में दोषियों को सजा सुनाई। कोर्ट ने हत्या और हत्या की कोशिश करने के जुर्म में एक 70 साल की महिला और उसके दो बेटों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट का यह फैसला काफी चर्चा में है क्योंकि जिनको सजा सुनाई गई है वे भी एक रिटायर्ड जज के परिवार के सदस्य हैं। जिन 3 दोषियों को सजा हुई है उनमें रिटायर्ड जज की पत्नी और बेटे हैं। रिटायर्ड जज के परिवार के इन सदस्यों को अब बाकी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे काटनी पड़ेगी।
कोर्ट ने उम्र कैद की सजा 2007 में शुरू हुए एक केस में सुनाई की जिसमें जज के परिवार वालों पर हत्या का आरोप था। इस मामले की सुनवाई एडीजे-6 की अदालत में चल रही थी। इस केस में कोर्ट ने पिछले हफ्ते 9 मई को रिटायर्ड जज की 70 साल की पत्नी नीलम देवी और उनके बेटे जयवर्धन सिंह और यशोवर्धन सिंह को हत्या के केस में दोषी करार दिया था। इस केस में जयवर्धन सिंह की पत्नी शीलू को मुक्त कर दिया गया है। दोष सिद्ध होने के बाद बुधवार को सजा पर सुनवाई हुई। वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए दोषियों की पेशी कोर्ट में कराई गई। इस पेशी में कोर्ट ने तीनों दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई साथ ही ढाई-ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
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क्या था पूरा केस?
कानपुर देहात के बेहटा बुजुर्ग गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह सीतापुर में काम करते थे। उनके चाचा शिवबरन सिंह जज थे और दोनों के बीच आपस में जमीनी विवाद चल रहा था। 29 अप्रैल 2007 को वीरेंद्र से जमीन से रास्ते को लेकर विवाद हो गया। विवाद के बाद शिवबरन के परिवारवालों ने धारदार हथियार से मारकर वीरेंद्र की हत्या कर दी थी। वीरेंद्र का एक बेटा नवनीत जो सेना में तैनात था इस विवाद के दौरान वहां मौजूद था। अपने पिता को बचाने में नवनीत घायल हो गया था। इस घटना के बाद शिवबरन जोकि जज रह चुके थे, उनकी पत्नी नीलम देवी, बेटे जयवर्धन, यशोवर्धन और बहू शीलू पर हत्या और हत्या की कोशिश का मामला दर्ज हुआ था।
2007 में मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने इन 5 आरोपियों पर जांच बैठाई थी। पुलिस जांच के बाद जो चार्जशीट फाइल की गई थी उसमें इन सभी के खिलाफ इस अपराध में शामिल होने के सबूत पाए गए थे। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर इन तीनों को दोषी करार दिया गया और सजा हुई।
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रिटायर्ड जज भी थे आरोपी?
यह मामला 5 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया और इसमें रिटायर्ड जज शिवबरन सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। शिवबरन सिंह की 2017 में मौत हो गई थी जिसके बाद उनका नाम इस केस से हटा दिया गया था। इसके अलावा, उनकी बहू शीलू को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया है। उनकी पत्नी और बेटों को उम्र कैद की सजा हुई है। तीनों पर जो जुर्माना लगाया गया है उसकी 75 प्रतिशत राशि पीड़ित के परिवार को दी जाएगी।