महाराष्ट्र में अभी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के चुनावों का एलान भी नहीं हुआ है, स्थानीय नेताओं का दल-बदल अभियान शुरू हो गया है। महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) दोनों गठबंधन इस दल-बदल से प्रभावित हैं। जिन उम्मीदवारों को लग रहा है कि उनका टिकट कट रहा है, वे दूसरी पार्टी में चले जा रहे हैं।
महायुति गठबंधन में 3 बड़े दल हैं। शिवसेना, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी। महा विकास अघाड़ी में भी 3 बड़े दल हैं। कांग्रेस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरद गुट) और शिवसेना (UBT)। 6 दलों में आपसी दल-बदल की खबरें सुर्खियों में हैं।
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महाराष्ट्र में मजबूत कौन है?
साल 2024 के विधानसभा चुनाव में महायुति ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। राज्य की 288 विधानसभाओं में से महाविकास अघाड़ी जहां सिर्फ 50 सीटों पर जीत हासिल कर पाई, वहीं महायुति ने 230 से ज्यादा सीटें जीत लीं।
BMC चुनावों से पहले क्या हो रहा है?
महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की ओर से चुनाव लड़ने लड़ चुके 43 उम्मीदवार महायुति में शामिल हो गए हैं। 43 सीटों पर महायुति के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं। उम्मीदवारों की पसंद की पहली पार्टी बीजेपी रही। 26 लोग बीजेपी में गए, 13 लोग अजित पवार की एनसीपी में गए, 7 लोग एकनाथ शिंदे की शिवसेना में चले गए। तीन निर्दलीय भी महायुति में शामिल हो चुके हैं। महा विकास अघाड़ी टूट रही है, अपने ही नेता, पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं।
किसे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है?
महाराष्ट्र की सियासत में सबसे ज्यादा नुकसान उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) को हुआ है। शिवसेना के 19 पुराने उम्मीदवार अब शिवसेना से अलग हो चुके हैं। एनसीपी (शरद गुट) के 13 नेता, कांग्रेस के 10 नेताओं ने दल बदल लिया।
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दल-बदल क्यों हो रहा है?
महा विकास अघाड़ी के नेताओं का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के पास स्थानीय स्तर पर कोई मजबूत चेहरा नहीं है। बीजेपी, महा विकास अघाड़ी के दलों से नेताओं को तोड़ रहे हैं, उन पर ईडी और सीबीआई का दबाव बना रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में ही दल-बदल नहीं हो रहा, सत्तारूढ़ महायुति सरकार में भी दल-बदल हो रहा है।
महायुति भी दल-बदल से बची नहीं है
महायुति के आधार स्तंभ 3 नेता हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार। तीनों की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं। एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में देवेंद्र फडणवीस डिप्टी रह चुके हैं। जून 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की सरकार गिराई थी, तब बीजेपी ने उन्हें ही सीएम प्रोजेक्ट किया था।
देवेंद्र फडणवीस इस फैसले से सहज नहीं थे। वह 5 साल मुख्यमंत्री रह चुके थे। अब सीएम पद पर बैठ चुके एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम हैं। उन्हें अपनी पार्टी का विस्तार करना है लेकिन गठबंधन का तालमेल भी बिठाना है। शिंदे गुट और बीजेपी में अनबन की खबरें भी आए दिन सामने आती हैं। विभागों में फंड बंटवारा को लेकर भी शिकायतें सार्वजनिक हुई हैं।
बीजेपी शिंदे-पवार को नुकसान पहुंचा रही है?
शिंदे गुट को लगता है कि बीजेपी ठाणे में उनके नेताओं को तोड़ रही है। यह आरोप एकनाथ शिंदे और अजित पवार दोनों गुटों के नेता लगा रहे हैं। दोनों नेता दिल्ली जाकर अमित शाह से मिल भी चुके हैं। बाहर से गठबंधन मजबूत दिख रहा है लेकिन स्थानीय स्तर पर दल-बदलने की खबरें सामने आती हैं।
महायुति ने क्या कदम उठाया है?
महाराष्ट्र में स्थानी दल-बदल इतना बढ़ा कि महायुती गठबंधन ने स्थानीय निकाय चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। तीनों दलों ने आपसी सहमति से तय किया है कि अब कोई भी दल एक-दूसरे के कार्यकर्ताओं या पदाधिकारियों को अपनी पार्टी में शामिल नहीं करेगा।
बीजेपी के प्रदेश चुनाव प्रभारी चंद्रशेखर बावनकुले ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि महायुती की समन्वय समिति यह नहीं चाहते है कि आपसी दल-बदल हो, एक दल, सहयोगी दल के कार्यकर्ताओं को न तोड़ें। नगर परिषद और पंचायत समिति चुनाव में तीनों दल अलग-अलग लड़ते नजर आ सकते हैं। जिला परिषद और महानगरपालिका चुनावों में महायुती पूरी तरह एकजुट होकर लड़ेगी।
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अब महायुति की चुनौतियां क्या हैं?
महाराष्ट्र में 2 दिसंबर को 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के पहले चरण के चुनाव होने हैं। यह पिछले साल विधानसभा में मिली बड़ी जीत के बाद सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के लिए पहला बड़ा इम्तिहान है। गठबंधन के अंदर तनाव बढ़ता जा रहा है।
बीजेपी और शिवसेना में बढ़ा टकराव
बीजेपी और शिवसेना के बीच सीटों और कार्यकर्ताओं को अपने पाले में लाने को लेकर झगड़ा हो रहा है। ठाणे और कल्याण शिंदे का गढ़ है। यहां तनाव सबसे ज्यादा दिख रहा है। पिछले हफ्ते शिवसेना के सारे मंत्री कैबिनेट बैठक में नहीं आए थे। बाद में एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात कर शिकायत की।
दहानू की एक रैली में एकनाथ शिंदे ने कहा, 'घमंड ने रावण का नाश किया, लंका जल गई।' देवेंद्र फडणवीस ने पलटकर कहा, 'हम राम भक्त हैं, लंका में नहीं रहते।'
किस वजह से तकरार बढ़ी है?
सबसे बड़ा झटका सुप्रीम कोर्ट से लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन 57 निकायों में ओबीसी सहित कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा है, वहां नतीजे अंतिम फैसले तक रोक दिए जाएंगे। अगर नियम तोड़ा गया तो चुनाव रद्द हो सकते हैं।
महायुति क्या कर रही है?
विपक्षी महा विकास अघाड़ी महायुति के झगड़ों का फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर रहा है। गठबंधन के नेता साफ तौर पर कह रहे हैं कि सत्ता पक्ष की आपसी लड़ाई से उसके उम्मीदवारों को फायदा होगा।
