मुंबई साइबर क्राइम पुलिस ने एक 27 साल के युवक को गिरफ्तार किया है, जो एक ऐसे गिरोह का हिस्सा बताया जा रहा है, जो डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर लोगों से बड़ी रकम की ठगी कर रहा था। इस गिरोह ने एक रिटायर्ड निजी कंपनी के निदेशक से 90 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। जांच में सामने आया कि ठगी की गई रकम में से कुछ पैसे आरोपी के बैंक खाते में भेजे गए थे। गिरफ्तार किए गए युवक की पहचान सोहेल बशीर शेख के तौर पर हुई है।
कैसे की गई धोखाधड़ी?
पुलिस ने बताया कि यह साइबर क्राइम 20 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच हुई। पीड़ित को एक अज्ञात नंबर से फोन कॉल और मैसेज आए। कॉल करने वाले ने खुद को दिल्ली साइबर क्राइम विभाग का इंस्पेक्टर अरुण कुमार बताया।
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उसने पीड़ित को बताया कि उनके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल कर एक फर्जी बैंक खाता खोला गया है, जिसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग, निवेश धोखाधड़ी और पहचान की चोरी जैसे अपराधों में किया गया है। इसके बाद उस अपराधी ने शिकायतकर्ता को एक फर्जी सीबीआई नोटिस भेजा और आदेश देते हुए कहा वे अपने पैसे एक गुप्त निगरानी खाते में ट्रांसफर करें, ताकि आरबीआई उनके लेन-देन की जांच कर सके।
साइबर अपराधी ने यह भरोसा भी दिलाया कि 3-4 घंटे के भीतर उनके पैसे वापस उनके खाते में भेज दिए जाएंगे। इस झांसे में आकर पीड़ित ने धीरे-धीरे 90 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब उन्हें समझ आया कि वे ठगी के शिकार हुए हैं, तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
जांच में सामने आया कि धोखे से लिए गए 60 लाख रुपए हैदराबाद के किसी बैंक अकाउंट में भेजे गए थे और उस अकाउंट से 4.94 लाख रुपए शेख के अकाउंट में भेजे, जिसके बाद पुलिस ने उसे ट्रैक किया। अभी मामले और जांच की जा रही है।
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ऐसे ठगों से कैसे बचें?
- किसी अनजान कॉलर पर विश्वास न करें, चाहे वह खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी ही क्यों न बताए।
- कभी भी अपने बैंक डिटेल्स या पैसे किसी "गुप्त खाते" में न भेजें।
- CBI, RBI या कोई भी सरकारी संस्था फोन पर पैसे ट्रांसफर करने को नहीं कहती।
- अगर कोई इस तरह का कॉल आए, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें।
- मोबाइल पर मिले नोटिस या दस्तावेज की वैधता की जांच खुद करें, किसी दबाव में आकर फैसले न लें।