संजय सिंह। बिहार का मुंगेर जिला अवैध हथियार की मंडी के रूप में सालों से प्रसिद्ध रहा है। अब यहां नकली सिगरेट का कारोबार भी बड़े पैमाने पर होने लगा है। देश के किसी भी हिस्से में अपराध हो वहां मुंगेर के असलहों का प्रयोग होता रहा है। एसटीएफ और पुलिस की टीम ने छापामार कर नकली सिगरेट और असलहा बरामद किया है। इन कारोबारियों के पास से डेढ़ करोड़ रुपये भी बरामद हुए हैं।

 

ब्रिटिश काल में ही मुंगेर में बंदूक और सिगरेट का कारखाना खोला गया था। पहले मुंगेर में बंदूक फैक्ट्री के अंदर 30 से ज्यादा इकाइयां कार्यरत थीं। ऑर्डर नहीं मिलने की वजह से धीरे-धीरे यहां का काम बंद हो गया। बेरोजगार कारीगर दूर-दराज के इलाकों में अपने हुनर का प्रदर्शन कर अवैध हथियार बनाने में जुड़ गए।

यहां क्यों बनते हैं नकली सिगरेट और हथियार

मुंगेर अवैध हथियार की मंडी के रुप में पूरे देश में विख्यात हो गया। अब जिले में असलहे के साथ-साथ नकली सिगरेट भी तैयार की जा रही है। नकली सिगरेट बनाने में भी सिगरेट फैक्ट्री के कुछ पुराने कारीगरों का हाथ होना बताया जाता है। जिन लोगों के पास से नकली सिगरेट बरामद हुई है। वहां से अवैध हथियार और गोलियां भी मिली हैं।

 

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17 दिन के भीतर पकड़ी गई दो सिगरेट फैक्ट्री

मुंगेर पुलिस ने 17 दिनों के भीतर दो नकली सिगरेट फैक्ट्री पकड़ी है। यहां से डेढ़ करोड़ रुपये नगद और असलहे भी बरामद हुए हैं। 8 दिसंबर की रात पुरबसराय थाना क्षेत्र के काली ताजिया निवासी हयात खां के घर नकली सिगरेट फैक्ट्री पकड़ी गई थी। यहां से भारी मात्रा में गोल्ड फ्लैक, कैपेस्टन और विल्स जैसे ब्रांडों की नकली सिगरेट बरामदगी हुई। इस छापेमारी में 85 लाख रुपये नगद और असलहे भी बरामद हुए थे।

 

दबिश के समय मुख्य आरोपी पुलिस को चकमा देकर भाग गया था। यहां तैयार की गई नकली सिगरेट उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और उड़ीसा के बाजारों में बेची जाती थी। घटना के ठीक 17 दिनों बाद मुंगेर के ही बासुदेवपुर थाना क्षेत्र के नया गांव में एक दूसरी नकली सिगरेट की फैक्ट्री पकड़ी गई। यहां से भी पुलिस को भारी मात्रा में नकली सिगरेट, 85 लाख रुपये नगद और अवैध हथियार मिले। पुलिस ने इस मामले में मोहम्मद अकबर, मोहम्मद मुफीर और अकबर के भाई को गिरफ्तार किया है।

 

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आईटीसी से ही चुराया जाता था रॉ मेटेरियल

इस मामले में गिरफ्तार मोहम्मद अकबर तीन सालों से आईटीसी सिगरेट फैक्ट्री में वेंडर के रूप में काम करता था। सिगरेट फैक्ट्री से ही वह चोरी छिपे ढंग से रॉ मेटेरियल और पैकिंग सामग्री निकालता था। इस कारोबार में दस लोगों का एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय था। पुलिस को यह आशंका है कि आखिरकार एक ही समुदाय के लोग सिगरेट और अवैध हथियार के धंधे में कैसे जुड़े हैं। पुलिस इसकी पड़ताल बड़े पैमाने पर कर रही है। संभावना है कि आने वाले समय में कुछ चौंकाने वाला तथ्य सामने आए।