पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा में अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में पिता और बेटा समेत एक अन्य की मौत हुई है। इस हिंसा में 15 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालात को देखते हुए यहां BSF की तैनाती कर दी गई है ताकि हालात फिर से बिगड़ ना सके। पुलिस ने लोगों से किसी भी तरह की अफवाह से बचने की अपील की है। 

 

यह भी पढ़ें: 'ऐसा वकील हो जो मेरा फायदा ना उठाए', तहव्वुर ने NIA कोर्ट ने की मांग

हिंसा की शुरुआत 

हिंसा की शुरुआत 11 अप्रैल को शुक्रवार की नमाज के बाद सुती और शमशेरगंज इलाकों में हुई, जहां हजारों लोग वक्फ कानून के विरोध में सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाइवे 34 को जाम किया, पुलिस पर पथराव किया और कई वाहनों में आग लगा दी। शमशेरगंज में पुलिस की गाड़ियों और एक आउटपोस्ट को आग के हवाले कर दिया गया। रेवले संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया जिससे रेलवे स्टाफ को जान बचाकर भागना पड़ना। 

1600 जवान की तैनाती

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हिंसा प्रभावित इलाकों में 1600 से अधिक जवानों को तैनात किया गया है, जिनमें बीएसएफ के जवान भी शामिल हैं। इन इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और निषेधाज्ञा लागू की गई है। पुलिस ने बताया कि सुती में झड़प के दौरान एक नाबालिग लड़का घायल हुआ है, जिसे कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

 

यह भी पढ़ें: वक्फ पर सुलगा मुर्शिदाबाद, इंटरनेट बंद, 110 से ज्यादा लोग गिरफ्तार

NIA करेगी हिंसा की जांच?

भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया है और हिंसा की जांच नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) से कराने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस हिंसा की पहले से प्लानिंग की गई थी और राज्य सरकार स्थिति को संभालने में असमर्थ रही है। मुर्शीदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा ने स्थिति को गंभार बना दिया है। प्रशासन ने सुरक्षा उपाय कड़े कर दिए है लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। स्थिति पर नजर रखने और शांति बहाल करने के लिए पुलिस और जवान तैनात किए गए है।