पुरी में हुई जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगदड़ मचने और तीन लोगों की मौत के बाद ओडिशा की सियासत गरमा गई है। इस हादसे को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्य की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के घर के पास जोरदार विरोध प्रदर्शन किया लेकिन इस विरोध के बीच एक और मामला सामने आया, जिसने विवाद और बढ़ा दिया। 

 

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में एक सीनियर पुलिस अफसर को बेहद सख्त और आपत्तिजनक भाषा में पुलिसकर्मियों को आदेश देते हुए सुना जा सकता है। वीडियो में वह अफसर प्रदर्शनकारियों की ओर इशारा करते हुए कहता है, 'अगर कोई बैरिकेड तक पहुंचे, तो उसकी टांगें तोड़ दो। पकड़ो मत, बस टांगें तोड़ दो। जो भी ऐसा करेगा, वह मेरे पास आए और इनाम ले जाए।'

 

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वीडियो में क्या?

वीडियो में यह भी कहा जा रहा है कि कुछ दूरी पर पुलिस तैनात है जो प्रदर्शनकारियों को पकड़ने के लिए तैयार है लेकिन बैरिकेड के पास आने वालों के साथ सख्ती बरती जाए। यह घटना उस वक्त हुई जब कांग्रेस कार्यकर्ता मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। विपक्षी दल का कहना है कि रथ यात्रा के दौरान उमड़ी भीड़ को संभालने में सरकार और प्रशासन दोनों पूरी तरह नाकाम रहे, जिसकी वजह से भगदड़ हुई और लोगों की जान गई।

 

इस वीडियो के सामने आने के बाद अब विपक्ष और सोशल मीडिया पर लोगों में गुस्सा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने पुलिस की इस भाषा और रवैये की कड़ी निंदा की है और मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है कि क्या इसी तरह लोकतांत्रिक प्रदर्शन को दबाया जाएगा? अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस वायरल वीडियो और पुलिस अफसर की धमकी भरी भाषा पर क्या कार्रवाई करती है, क्योंकि मामला न सिर्फ कानून-व्यवस्था का है, बल्कि आम लोगों के अधिकारों से भी जुड़ा है।

 

पुलिस अफसर ने दी सफाई

भुवनेश्वर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर (एसीपी) नरसिंह भोल ने एक बयान में साफ किया कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि उनके कहे गए शब्दों को 'संदर्भ से बाहर' लिया गया है। एक मीडिया को इंटरव्यू देते उन्होंने कहा, 'हर बात का एक समय, जगह और संदर्भ होता है। जो मैंने कहा था, वह उस खास हालात में कहा गया था। अगर आप पूरा वीडियो देखेंगे तो आपको समझ आएगा कि मैंने मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों से कहा था कि 'हम उन्हें गिरफ्तार करने के लिए हैं।'

 

उन्होंने आगे बताया कि यह निर्देश सिर्फ उस स्थिति के लिए था, जब प्रदर्शनकारी नियंत्रण से बाहर हो जाएं और बैरिकेड तोड़ने की कोशिश करें। उन्होंने कहा, 'हमने साफ तौर पर कहा था कि अगर कोई पहले बैरिकेड को तोड़ता है, तो उसे वहीं पर रोका जाए और हिरासत में लिया जाए। लेकिन अगर कोई दो बैरिकेड पार कर लेता है, तो वह पहले ही कानून का उल्लंघन कर चुका होता है। ऐसे लोग गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा माने जाते हैं।'

 

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पुलिस को पूरा हक

एसीपी भोल ने यह भी कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को पूरा हक है कि वह जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग करे। उन्होंने यह भी साफ किया कि पुलिस का इरादा किसी भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने का नहीं है, लेकिन अगर कोई भीड़ हिंसक होती है या कानून तोड़ती है, तो पुलिस को कार्रवाई करनी ही पड़ेगी।