देश में हथियारों के लाइसेंस की लोकप्रियता काफी ज्यादा है। लोग हथियारों के लाइसेंस लेने के लिए जगह-जगह सिफारिश लगाते हैं, पैसे खर्च करते हैं और तमाम मेहनत के बाद लाइसेंस हासिल करके अलग-अलग तरह की बंदूकें खरीदते हैं। इस लोकप्रियता का फायदा उठाकर पर्यावरण को समृद्ध करने का एक अनोखा तरीका निकाला गया है। यह काम उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के जिलाधिकारी ने किया है। मथुरा के डीएम ने शर्त रख दी है कि जिसे भी किसी हथियार का लाइसेंस लेना है, उसे 10 पौधे भी लगाने होंगे। इतना ही नहीं, इन सभी पौधों की जिओ टैगिंग भी करानी होगी।

 

जिला प्रशासन ने बताया कि है यह शर्त बंदूक लाइसेंस के लिए पहले की सभी शर्तों के साथ ही लागू होगी। आवेदनकर्ताओं को अपनी या सार्वजनिक भूमि पर 10 पौधे लगाने होंगे और उनकी जिओ टैगिंग करवानी होगी। इसके अलावा, पौधों के संरक्षण और रखरखाव की जिम्मेदारी भी आवेदनकर्ता की होगी। यह शर्त सिर्फ नए लाइसेंस के आवेदकों पर ही लागू नहीं होगी बल्कि जो लोग लाइसेंस रीन्यू करवाएंगे या ट्रांसफर करवाएंगे, उन पर भी लागू होगी।

 

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क्या है जिओ टैगिंग?


नए नियमों के अनुसार, आवेदकों को 10 पौधे लगाकर जिओ टैगिंग करवानी होगी और उसकी फोटोकोपी आवेदन के साथ लगानी होगी। जिओ टैगिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पौधों की लोकेशन को जीपीएस के माध्यम से ट्रैक किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि पौधे वास्तव में लगाए गए हैं और उनकी देखभाल की जा रही है। इस प्रक्रिया से प्रशासन को भी यह पता चलता रहेगा कि कितने पौधे लगाए गए हैं और उनकी स्थिति क्या है।

 

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शर्त पूरी करना होगा अनिवार्य 


मथुरा के डीएम चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया, 'लाइसेंस के लिए बाकी जरूरी शर्तों को पूरा करने के बाद पौधों की शर्त भी पूरी करनी होगी। जो आवेदक इस शर्त को पूरा करके इसकी फोटोकोपी आवेदन के साथ लगाएगा उसी के आवेदन पर विचार होगा। यह शर्त शस्त्र लाइसेंस के लिए पहले की सभी शर्तों को मानने के साथ ही लागू होगी। इससे आवेदक अपनी आवश्यकतानुसार सुविधा तो पाएंगे ही, साथ ही वे जिले के पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अपेक्षित योगदान कर सकेंगे।'


इस पहल का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना और उन्हें इसके लिए प्रेरित करना है। डीएम चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह अहम कदम है। पौधे लगाने के लिए हम सबको जागरूक होना होगा, तभी पर्यावरण संरक्षण हो सकता है।