कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले की पुलिस ने 35 साल पुराने एक केस में आरोपी को गिरफ्तार किया है। यह मामला सिर्फ 200 रुपये की धोखाधड़ी का था लेकिन जिस समय यह धोखाधड़ी हुई थी उस समय 200 रुपये की कीमत आज से कहीं ज्यादा थी। एक छात्र से आरोपी ने नौकरी देने का झांसा देकर 200 रुपये लिए थे लेकिन वह बिना नौकरी लगवाए ही फरार हो गया था। इसके बाद छात्र ने पुलिस में शिकायत की थी लेकिन 35 साल तक पुलिस उसका पता नहीं लगा पाई थी। 

 

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में सिरसी ग्रामीण पुलिस ने यह पुराना मामला हल किया है। 35 साल पहले पीड़ित वेंकटेश ने इसी थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। सिरसी थाने में दो महीने पहले ही पुलिस इंस्पेक्टर मंजूनाथ गौड़ा का ट्रांसफर हुआ था। जब वह पुरानी फाइलें जांच रहे थे तो उनकी नजर इस केस पर गई।  मंजूनाथ गौड़ा ने बताया, 'जब मैं पुराने केस देख रहा था तो मुझे यह केस दिखा। यह केस थोड़ा अलग था क्योंकि यह सिर्फ 200 रुपये के लिए किया गया था।' संयोग से उन्होंने उस शहर में भी काम किया था, जहां आरोपी रहता था। 

 

यह भी पढ़ें: बारिश से चमोली में फटे बादल, कीचड़ में बहे घर; स्कूलों की छुट्टी

क्या था पूरा मामला?

यह मामला 35 साल पहले साल 1990 में  दर्ज हुआ था। उस समय उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी में बी केशवमूर्ति नाम का एक व्यक्ति खुद को एक संगठन का नेता बताकर घूम रहा था। उस फर्जी नेता ने वेंकटेश को नौकरी दिलाने का झांसा देकर 200 रुपये की रिश्वत ली थी। पैसे लेने के बाद आरोपी फरार हो गया था और वेंकटेश ने बी केशवमूर्ति के खिलाफ थाने में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने बताया कि केशवमूर्ति ने सरकारी ऑफिस में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 200 रुपये लिए थे। पैसे लेकर आरोपी फरार हो गया और वेंकटेश को नौकरी नहीं मिली।

कैसे पकड़ा गया आरोपी?

इस मामले में 35 साल बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। इंस्पेक्टर मंजूनाथ गौड़ा जब पुराने केस देख रहे थे तो उनके सामने यह केस भी आया। मंजूनाथ गौड़ा ने संयोग से उस शहर में भी काम किया था जहां आरोपी रहता था। उन्होंने बताया, 'मैंने कुंडापुरा में अपने नेटवर्क के साथ कुछ डिटेल शेयर की और पता चला कि आरोपी को शहर छोड़े 20 साल से ज्यादा समय हो गया है।' इसके बाद मंजूनाथ गौड़ा ने  केशवमूर्ति के दोस्तों से उसका फोन नंबर निकलवाया।

 

पुलिस को पता चला कि वह बेंगलुरु में रह रहा है और वहां एक कन्नड़ एक्टिविस्ट बनकर अकेले रह रहे थे। इसके बाद दिक्कत यह थी कि 200 रुपये का केस हल करने के लिए पुलिस 400 किलोमीटर दूर नहीं जा सकती थी लेकिन इसके बाद केस में एक नया मोड़ आया। इसी पुलिस थाने के पुलिस कांस्टेबल और कबड्डी खिलाड़ी मारुति गौड़ा सालाना पुलिस खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए राजधानी बेंगलुरु जा रहे थे। इंस्पेक्टर मंजूनाथ गौड़ा ने उन्हें प्रतियोगिता खत्म होने के बाद इस केस के आरोपी के बारे में पता लगाने को कहा।

पुलिस ने बिछाया जाल

इसके बाद पुलिस ने उसको जाल बिछाकर उसको पकड़ लिया। मारुति गौड़ा ने कहा, 'मैंने कुरियर ऑफिस के कर्मचारी के रूप में उसे फोन किया और नाम की पुष्टि की। मैंने उसे पार्सल लेने के लिए कूरियर ऑफिस आने को कहा। जब वह आया और उसके नाम की पुष्टि हुई तो हम उसको सिरसी ले आए।'

 

यह भी पढ़ें: कौन है मुकेश महावर? जिसके घर से मिला लग्जरी कारों का जखीरा

 वेंकटेश ने क्या कहा?

वेंकटेश साल 1990 में जब BCOM कर रहे थे उस समय उनके साथ यह धोखा हुआ था लेकिन अब वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके थे। जब उन्हें पुलिस ने इस मामले के बारे में बताया तो वह हैरान हो गए। उन्होंने कहा, 'गिरफ्तारी की बात तो भूल ही जाइए, मैंने कभी नहीं सोचा था कि राव को दोबारा देख भी पाऊंगा। मेरे माता-पिता मजदूरी करते थे और नौकरी लगवाने के लिए मैंने कर्ज लेकर केशवमूर्ति को 200 रुपये दिए थे। उस समय मेरे लिए 200 रुपये बहुत ज्यादा थे। जब वह गायब हो गया तो मैंने इसकी शिकायत की थी। इसके बाद मैं जिंदगी  में आगे बढ़ गया और हर दूसरे साल मुझे पुलिस इस केस के बारे में जानकारी लेने के लिए फोन करती थी।'

 

पिछले हफ्ते केशवमूर्ति  को कोर्ट में पेश किया और उसने कोर्ट में वेंकटेश से माफी मांग ली। वेंकटेश ने कहा कि जिस समय उसे पैसा दिया था वह बहुत अमीर था लेकिन अब उसके पास पैसा नहीं है। उसकी उम्र भी 72 साल है और मानवता के नाम पर मैंने उसे माफ कर दिया। वेंकटेश के इस फैसले के बाद कोर्ट ने इस केस को बंद कर दिया।