महाराष्ट्र के पुणे में रविवार को एक बड़ा हादसा हो गया। यहां इंद्रायणी नदी पर बना लोहे का पुल अचानक ढह गया, जिससे 4 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे में 18 लोग घायल हो गए हैं। यह पुल 32 साल पुराना था। बताया जा रहा है कि इस पुल को 'अनसेफ' घोषित किया जा चुका था। माना जा रहा है कि ज्यादा भीड़ होने के कारण यह पुल ढह गया।
अधिकारियों ने बताया कि पुल ढहने के बाद कई लोग नदी में डूब गए थे। सोमवार सुबह रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया। इसमें 55 लोगों को बचा लिया गया। हालांकि, 4 लोगों की मौत हो गई।
तालेगांव दाभाड़े के एसपी प्रदीप रायनवार ने बताया कि पुल के नीचे से दो लोगों के शव बरामद किए गए थे। दो लोगों को बचा लिया गया था लेकिन बाद में उनकी मौत हो गई।
मारे गए चार लोगों में से तीन की पहचान हो गई है। इस हादसे में जिनकी मौत हुई है, उनमें चंद्रकांत सठाले, रोहित माने और विहान माने शामिल हैं। चौथे शव की अब तक पहचान नहीं हो पाई है।
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अनसेफ घोषित किया जा चुका था पुल को!
पुणे कलेक्टर जितेंद्र डूडी ने बताया कि इस पुल को अनसेफ घोषित किया जा चुका था लेकिन यहां 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे। इनमें से ज्यादातर लोग सेल्फी लेने में व्यस्त थे।
उन्होंने बताया, 'स्थानीय प्रशासन की चूक की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी। यह भी पता लगाया जाएगा कि SOP का पालन किया गया था या नहीं।'
उन्होंने कहा कि वॉर्निंग साइन लगाने और भीड़ जुटने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बावजूद यह घटना हुई। उन्होंने यह भी बताया कि इस पुल से गाड़ियों के गुजरने पर भी प्रतिबंध था। गाड़ियों के लिए एक नया स्ट्रक्चर बनाए जाने का प्रस्ताव है।
अपने तीन दोस्तों के साथ इस पुल पर पहुंचे नीलेश खोल्लम ने बताया कि जैसे ही वे ब्रिज से नीचे उतरे, वह ढह गया और कुछ लोग नदी में गिर गए। नीलेश ने बताया कि पुल काफी संकरा है और एक बार में सिर्फ एक ही गाड़ी गुजर सकती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने और उनके दोस्तों ने 3-4 लोगों को बचाया।
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कहां गलती हुई?
अब तक तो यही माना जा रहा है कि अचानक भीड़ बढ़ने से पुल टूट गया। यह पुल करीब 470 फीट लंबा है। इसका पहला हिस्सा 70 से 80 फीट का है, जो पत्थर के ढलान पर बना है। फिर इसे दो 100 फीसदी लंबे लोहे के सेक्शन और आगे 200 फीट लंबे सीमेंट सेक्शन से जोड़ा गया है। पुल सिर्फ 4 फीट चौड़ा है और इसमें एक बार में एक बाइक और दो लोग ही इसे पार कर सकते हैं।
हालांकि, हादसे के वक्त पुल पर करीब 6-8 बाइक और भारी भीड़ थी। अधिकारियों का कहना है कि 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे, जिन्होंने यहां पर लगे साइनिंग बोर्ड को नजरअंदाज किया।
अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ गई थी। हर वीकेंड पर करीब 7 से 8 हजार लोग यहां पहुंच रहे थे, जबकि पुल में इतनी भीड़ को संभालने की क्षमता नहीं थी। इसके अलावा, पुल पर गड्ढे हो गए थे और इसे अस्थायी रूप से सीमेंट से ढक दिया था।
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पुल की मरम्मत भी नहीं हुई थी!
एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कुछ सालों से पुल का ऑडिट नहीं हुआ था। स्थानीय लोगों ने दो साल पहले PWD और ग्राम पंचायत को चिट्ठी लिखकर पुल की मरम्मत करने और पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
पहले तो यहां सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं था। ग्रामीणों की बार-बार मांग के बाद प्रशासन ने हर शनिवार को पुल के पास एक पुलिस अधिकारी की तैनाती शुरू कर दी थी।
पिछले साल बीजेपी विधायक और मंत्री रवींद्र चव्हाण ने ढह चुके पुल की मरम्मत के लिए 80,000 रुपये मंजूर किए थे। हालांकि, इस पैसे का इस्तेमाल मरम्मत के लिए नहीं किया गया। इससे पहले 2017 में पूर्व विधायक दिगंबरदा भेगड़े ने नदी पर एक नया पुल बनाने की मांग की थी।