पंजाब में धार्मिक ग्रंथों और स्थलों की बेअदबी को रोकने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब कैबिनेट ने 'पंजाब पवित्र धर्मग्रंथ के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम (एस) अधिनियम, 2025' को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक को बेअदबी विरोधी बिल के नाम से जाना जा रहा है, जिसे मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में पेश किया। इस कानून के तहत धार्मिक ग्रंथों और स्थलों की बेअदबी करने वालों को 10 साल की जेल या आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही, सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ भी कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं।

 

विधानसभा में बिल पेश होने के बाद विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा ने इस पर चर्चा के लिए समय की मांग की। बाजवा ने कहा, 'हमें यह बिल अभी-अभी मिला है। विधायकों को इसे पढ़ने और समझने के लिए समय चाहिए ताकि इस पर सार्थक चर्चा हो सके।' उनकी मांग को स्वीकार करते हुए विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा ने विशेष सत्र को मंगलवार, 15 जुलाई 2025, सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

 

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सीएम ने साधा कांग्रेस पर निशाना  

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कांग्रेस की इस मांग पर तंज कसते हुए कहा, 'कांग्रेस को बेअदबी बिल पर चर्चा के लिए समय चाहिए, इससे आप उनकी हालत का अंदाजा लगा सकते हैं। पत्रकारों ने पहले ही बता दिया था कि यह बिल इस सत्र में पेश होगा, फिर भी कांग्रेस ने कोई तैयारी नहीं की।'

 

उन्होंने विश्वास जताया कि यह बिल विधानसभा में बिना किसी विरोध के पारित हो जाएगा। मान ने कहा कि यह कानून पंजाब की जनता की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगा। वहीं पंजाब में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि बेअदबी के मामलों में मुख्यमंत्री को गंभीरता दिखाने की जरूरत है।

 

सिलेक्ट कमेटी लेगी राय  

विधानसभा में चर्चा के बाद यह बिल सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाएगा, जो धार्मिक संगठनों, धर्मगुरुओं और आम जनता से इस मुद्दे पर राय लेगी। इस प्रक्रिया से विधेयक को और अधिक समावेशी और प्रभावी बनाने की कोशिश की जाएगी।

2015 से बेअदबी की घटनाओं में इजाफा  

पंजाब में 2015 में कोटकपूरा और बरगाड़ी की घटनाओं के बाद से धार्मिक ग्रंथों और स्थलों की बेअदबी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इन घटनाओं ने राज्य में सामाजिक तनाव को बढ़ाया है, लेकिन अब तक बेअदबी करने वालों को सजा देने के लिए कोई सख्त कानून नहीं था।

 

प्रस्तावित कानून में विशेष अदालतों के गठन का प्रावधान है, जो बेअदबी के मामलों में त्वरित सुनवाई करेंगी। इसके अलावा, दोषियों को पैरोल से भी वंचित रखा जाएगा, जिससे सजा की कठोरता सुनिश्चित होगी।

 

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लंबे समय से थी कानून की मांग  

पंजाब में धार्मिक भावनाएं गहरी हैं, और बेअदबी की घटनाएं सामाजिक सौहार्द्र को प्रभावित करती हैं। इस कानून की मांग लंबे समय से की जा रही थी। विधानसभा में इस बिल के पेश होने को एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।

 

कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता की जरूरत पर बल दिया और कहा कि मंगलवार को इस बिल पर विस्तृत चर्चा होगी। माना जा रहा है कि इस बिल के पारित होने से पंजाब में धार्मिक ग्रंथों और स्थलों की सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। यह कानून न केवल बेअदबी की घटनाओं पर अंकुश लगाएगा।