लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को शुक्रवार को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने राज्य में 'रोहित वेमुला अधिनियम' लागू करने की बात कही है। राहुल ने पत्र में कहा है कि इस अधिनियम को लागू करके वंचित वर्गों के किसी छात्र को जातिवाद के दंश से बचाया जा सकता है। अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राहुल गांधी के पत्र का जवाब देते हुए उन्हें आश्वासन दिया है कि कर्नाटक सरकार रोहित वेमुला अधिनियम लागू करेगी।

 

रोहित वेमुला अधिनियम उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में जाति और पहचान आधारित भेदभाव को खत्म करना है। पत्र में राहुल गांधी ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी की दुखद मौतों का जिक्र किया है। ये सभी युवा छात्र उच्च शिक्षा संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव का सामना करने के बाद कथित तौर पर आत्महत्या कर चुके हैं।

 

यह भी पढ़ें: 'निश्चित कार्रवाई होगी', हिंसा प्रभावितों से मिलने के बाद राज्यपाल बोस

 

'युवाओं की हत्या बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं'

 

रायबरेली से सांसद ने लिखा, 'रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे प्रतिभाशाली युवाओं की हत्या बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। इस पर पूरी तरह से रोक लगाने का समय आ गया है। मैं कर्नाटक सरकार से रोहित वेमुला अधिनियम लागू करने का आग्रह करता हूं ताकि भारत के किसी भी बच्चे को वह सब न सहना पड़े जो डॉ. बी.आर. अंबेडकर, रोहित वेमुला और लाखों अन्य लोगों को सहना पड़ा है।'

 

उन्होंने बताया कि कैसे आज भी दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों के छात्रों को हमारी शिक्षा प्रणाली में क्रूर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

 

संसद में छात्रों से मुलाकात

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'हाल ही में संसद में मेरी मुलाकात दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदाय के छात्रों और शिक्षकों से हुई थी। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें किस तरह कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाति के आधार पर भेदभाव झेलना पड़ता है।'

 

यह भी पढ़ें: रेप का आरोपी बेल पर बाहर आया, छेड़खानी के आरोप के बाद गला काटकर दी जान

 

शिक्षा से जातिभेद तोड़ सकते हैं

 

उन्होंने पत्र में कहा, 'बाबासाहेब आंबेडकर ने दिखाया था कि शिक्षा ही वह साधन है जिससे वंचित भी सशक्त बन कर जातिभेद को तोड़ सकते हैं। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दशकों बाद भी लाखों छात्र हमारी शिक्षा व्यवस्था में जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे ‌हैं।' उनका कहना था कि इसी भेदभाव ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्र-छात्राओं की जान ले ली। 

 

बता दें कि हैदराबाद विश्विद्यालय के छात्र रहे रोहित वेमुला ने जनवरी, 2016 में कथित जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी।