रणथंभौर नेशनल पार्क में शनिवार शाम पर्यटकों के जंगल में फंसने की घटना के बाद वन विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं। तीन सफारी वाहनों, उनके ड्राइवरों और एक गाइड पर अगले आदेश तक प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही, इस मामले की जांच के लिए वन विभाग ने सहायक वन संरक्षक (पर्यटन) को तीन दिन में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। यह आदेश उप वन संरक्षक (पर्यटन) ने जारी किया।

 

एक अधिकारी के अनुसार, जोन 6 से पर्यटकों को वापस ला रहा एक सफारी वाहन अंधेरे में खराब हो गया, जिससे पर्यटक जंगल में फंस गए। दूसरा वाहन, जो चौकी पर रिजर्व में रहना चाहिए था, वहां मौजूद नहीं था। तीसरा वाहन, जो पहले ही पर्यटकों को लौटा चुका था, उसे फंसे हुए पर्यटकों को लाने के लिए कहा गया, लेकिन उसने विभाग के निर्देशों का पालन नहीं किया। नतीजतन, तीनों वाहनों, उनके ड्राइवरों और गाइड पर कार्रवाई की गई।

 

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नया नियम

वन विभाग ने सफारी वाहनों के लिए इस बात पर भी फैसला लिया है कि कितने पुराने वाहन तक चल सकते हैं। पहले 10 साल की उम्र वाले वाहनों को 15 साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव था, लेकिन अब इस मामले में  केवल एक साल तक की ही छूट दी जाएगी। फील्ड डायरेक्टर को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि रणथंभौर टाइगर प्रोजेक्ट में चलने वाले सभी वाहन सुरक्षित, पर्यटन के लिए उपयुक्त और सफारी मानकों को पूरा करने वाले हों।

वाहनों की स्थिति पर विवाद

वर्तमान में रणथंभौर में 556 वाहन पर्यटन के लिए पंजीकृत हैं। रणथंभौर वीकल सफारी ओनर्स फेडरेशन ने पुराने वाहनों के प्रयोग के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन होटल मालिकों और अन्य लोगों का कहना है कि पुराने और खराब वाहन पर्यटकों के लिए खतरा हैं। एक होटल मालिक ने कहा, ‘कुछ वाहन बहुत खराब हालत में हैं। मालिक रखरखाव पर खर्च नहीं करते, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये वाहन जल्द बंद हो जाएंगे।’ बाजार में नए, कम उत्सर्जन वाले और बेहतर तकनीक के वाहन उपलब्ध हैं।

 

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वन कर्मचारी की बात

एक वन कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि वाहन मालिकों के दबाव के कारण एक साल की छूट दी गई। उन्होंने कहा, ‘चिंताओं के बावजूद यह छूट दी गई, क्योंकि इसे मालिकों पर अतिरिक्त बोझ माना गया।’ वन विभाग इस घटना को गंभीरता से ले रहा है और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।