तेलंगाना सुरंग में फंसे 8 लोगों को बचाने का अभियान रविवार को नौवें दिन भी जारी रहा। लगातार पानी का रिसाव बचाव कार्य में एक बड़ी बाधा बना हुआ है। मशीन-कटिंग ऑपरेशन के बाद टनल बोरिंग मशीन से मलबा हटाने में कई बचाव दल को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 2 दिनों में तेज अभियान के बावजूद, बचाव कार्य 14 किलोमीटर लंबी सुरंग के आखिरी 40 मीटर हिस्से में मलबे के ढेर को साफ नहीं कर पाए है।

 

पता चल गई लोकेशन

हालांकि, जहां 8 लोग फंसे हुए है वहां की लोकेशन पता चल गई है लेकिन सभी के बचने की उम्मीद बेहद कम है। राज्य के आबकारी मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने शनिवार को कहा कि चार लोगों की लोकेशन का पता लगा लिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि रविवार शाम तक लोगों को बाहर निकाल लिया जाएगा। मंत्री ने संकेत दिए है कि अंदर फंसे लोगों के बचने की संभावना बहुत कम है। 

 

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इतनी टीमें कर रही काम

सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिंगरेनी माइंस रेस्क्यू, फायर सर्विसेज, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई), हाइड्रा, साउथ सेंट्रल रेलवे प्लाज्मा कटर और रैट माइनर्स की बचाव टीमों ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की टीम इस अभियान में जुटी हुई है।  केंद्र और राज्य सरकारों की 18 एजेंसियों के करीब 700 कर्मचारी बचाव कार्य में लगे हुए हैं। हर शिफ्ट में कम से कम 120 कर्मचारी बचाव कार्य कर रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, ऑपरेशन रोजाना तीन शिफ्ट में चलाया जा रहा है।

 

मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी करेंगे सुरंग का दौरा

बचाव दल को उम्मीद है कि एक बार कन्वेयर बेल्ट चालू हो जाए तो मलबा हटाने का काम और तेज हो जाएगा। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी रविवार शाम को सुरंग का दौरा करेंगे। वे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा करेंगे। बता दें कि दुर्घटना स्थल पर यह उनका पहला दौरा होगा। विपक्षी बीआरएस और भाजपा दोनों ने दुर्घटना स्थल पर न जाने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की थी। हालांकि, सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इस आधार पर इसका बचाव किया कि इससे बचाव अभियान प्रभावित हो सकता है। 

 

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22 फरवरी को हुआ था हादसा

22 फरवरी को 14वें किलोमीटर पर सुरंग की छत का एक हिस्सा ढहने से दो मजदूर घायल हो गए और आठ सुरंग में फंस गए। फंसे हुए लोगों की पहचान मनोज कुमार (यूपी), श्री निवास (यूपी), सनी सिंह (जम्मू-कश्मीर), गुरप्रीत सिंह (पंजाब) और संदीप साहू, जेगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है, जो सभी झारखंड के रहने वाले हैं। आठ लोगों में से दो इंजीनियर हैं, दो ऑपरेटर हैं और बाकी चार मजदूर हैं।