छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में जिंदल पावर लिमिटेड (JPL) की कोयला खनन परियोजना के खिलाफ पिछले 15 दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहा है। यह प्रदर्शन 27 दिसंबर (शनिवार) को उस समय हिंसक हो गया, जब पुलिस ने भीड़ को हटाने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि पुलिस के जबरन कार्रवाई करने से लोग भड़क गए और उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया। करीब 1000 लोगों की बेकाबू भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया और लाठी-डंडों से हमला किया जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इस झड़प में इलाके के थाना प्रभारी कमला पुसाम ठाकुर गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की तीन गाड़ियों में आग लगा दी। करीब 14 गांवों के हजारों लोग जमीन और पर्यावरण को बचाने के लिए इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
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DM ने क्या कहा?
रायगढ़ कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने कहा, 'आज, विरोध स्थल पर जहां सभी ग्रामीण पिछले 15 दिनों से शांतिपूर्वक बैठे थे और जहां हम उनकी सभी जरूरतों का भी ध्यान रख रहे थे। दोपहर करीब 2:30 बजे कुछ असामाजिक तत्वों ने हिंसा भड़का दी। पत्थरबाजी शुरू हो गई और हमारे कुछ सुरक्षाकर्मियों को, जो सभी विरोध स्थलों पर मौजूद रहते हैं, मामूली चोटें आईं।'
आगे उन्होंने कहा, 'उन्हें जवाबी कार्रवाई करने का कोई निर्देश नहीं था, इसलिए वे अपनी जान बचाने के लिए भाग गए। लगभग दो घंटे बाद, हमने स्थानीय प्रतिनिधियों, पुलिस अधीक्षक और जिला प्रशासन के साथ मिलकर उनसे बात करने की कोशिश की। हम उनसे मिलने वहां गए भी लेकिन भीड़ काफी आक्रामक थी और उन्होंने फिर से पत्थर फेंकना और हमारा पीछा करना शुरू कर दिया।'
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डीएम ने बताया, 'मौजूदा स्थिति यह है कि वहां की पूरी भीड़ बिना नेता के लग रही है। हम कोशिश कर रहे हैं कि उनमें से कुछ समझदार लोग आगे आएं और बात करें। घायलों की हालत स्थिर है। कुछ लोगों को ऐसी चोटें लगी थीं जिनके लिए आगे इलाज की जरूरत थी, इसलिए हमने उन्हें रायगढ़ भेज दिया है, और बाकी का इलाज यहीं किया जा रहा है।'
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कहां-कहां किया हिंसक प्रदर्शन?
प्रदर्शनकारी JPL के कोयला हैंडलिंग प्लांट में भी घुस गए, जहां उन्होंने तोड़फोड़ और आगजनी की। अधिकारियों के मुताबिक, भीड़ ने पथराव किया और पुलिस की एक बस, जीप और एम्बुलेंस को आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा कई अन्य सरकारी वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया गया। भीड़ पावर प्लांट के अंदर तक पहुंच गई और वहां कन्वेयर बेल्ट, दो ट्रैक्टर और अन्य वाहनों में आग लगा दी। प्लांट के ऑफिस में भी भारी तोड़फोड़ की गई।
बताया गया है कि 8 दिसंबर को भौराभाठा गांव में इस परियोजना को लेकर जनसुनवाई हुई थी। इसके विरोध में ग्रामीण 12 दिसंबर से धरने पर बैठे थे। धरने के दौरान सुबह करीब 300 लोग मौजूद थे, जिनमें से कुछ लोगों ने सड़क जाम कर दी थी।
ग्रामीणों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे थे लेकिन जब पुलिस उन्हें हटाने पहुंची तो लोगों का गुस्सा भड़क गया। ग्रामीण प्रस्तावित खनन परियोजना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि इस परियोजना की मंजूरी के लिए की गई जनसुनवाई नियमों के खिलाफ हुई थी।
