आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन की लत लगना एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इस लत का शिकार बच्चे भी हो रहे हैं, जिसके चलते बच्चों को मानसिक विकास नहीं हो रहा है। 27 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई। एक छोटी बच्ची को मां ने मोबाइल फोन नहीं दिया तो वह घर से निकल गई। पुलिस की मदद से करीब चार घंटे बाद लड़की घर से काफी दूर मिली। फोन की लत से बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ता है तो टीनएजर्स के लिए भी फोन का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही 18 साल की उम्र से कम के बच्चों के फोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इसी तरह का एक फैसला उत्तर प्रदेश की खाप पंचायत में भी लिया गया। इसके साथ ही लड़कों की हाफ पैंट और कई अन्य मुद्दों पर भी खाप पंचायत में फैसला लिया गया।
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में शनिवार को हुई खाप पंचायत में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन रखने पर रोक लगा दी गई। खाप पंचायत का मानना है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन देना उचित नहीं है। स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग पर चिंता जताते हुए खाप चौधरियों ने कहा कि बहुत कम बच्चे मोबाइल का सही इस्तेमाल पढ़ाई के लिए करते हैं, जबकि ज्यादातर समय बच्चे मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है और वे बड़ों की बात मानने से भी इनकार करने लगे हैं।
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लड़कों की हैफ पैंट बैन
बागपत में हुई इस खाप पंचायत में यह फैसला भी लिया गया कि घर के बाहर लड़के हाफ पैंट नहीं पहन सकते। खाप ने लड़कों के लिए कुर्ता पायजामा और लड़कियों के लिए सलवार कुर्ता की वकालत की। थाम्बा पट्टी मेहर देशखाप के चौधरी बृजपाल सिंह और खाप चौधरी सुभाष चौधरी ने पंचायत में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि खाप चौधरियों का मानना है कि लड़के और लड़कियां समाज में समान हैं और अनुशासन के नियम दोनों पर समान रूप से लागू होने चाहिए। पंचायत का माना था कि लड़कों का हाफ पैंट पहनकर सार्वजनिक जगहों पर घूमना सामाजिक मर्यादाओं के विपरीत है और इससे समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पंचो ने कहा कि घर के भीतर पहनावे पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर मर्यादित और साधारण कपड़े पहनना सामाज के लिए जरूरी है।
शादी को लेकर भी लिए फैसले
इस खाप पंचायत में शादी के आयोजन को लेकर भी अहम फैसले लिए गए। पंचायत ने पंचायत में बारात घर में शादी के आयोजन पर यह कहते हुए आपत्ति की गई कि विवाह गांवों और घरों में होने चाहिए। शादी-विवाह से जुड़े फैसलों पर पंचायत में कहा गया कि बारात घर में होने वाली शादियों से पारिवारिक जुड़ाव कमजोर होता है और इससे वैवाहिक संबंधों में तनाव पैदा होता है। इस कारण शादियां गांव और घरों में ही होनी चाहिए। हालांकि, पंचायत ने व्हाट्सऐप के माध्यम से शादी के निमंत्रण कार्ड स्वीकार करने पर सहमति जताई।
खाप नेताओं ने बताया कि पंचायत में लिए गए फैसलों को लागू कराने के लिए गांव-गांव जाकर ग्राम समाज के जिम्मेदार लोगों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। इन निर्णयों को समाज के हित में पूरे उत्तर प्रदेश में लागू कराने के प्रयास किए जाएंगे और अन्य खापों से भी संपर्क कर इसे एक अभियान का रूप दिया जाएगा।
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नेताओं ने खाप के फैसले पर दी प्रतिक्रिया
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के सीनियर नेता चौधरी यशपाल सिंह ने भी पंचायत के फैसलों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि खाप पंचायतें समाज की जमीनी हकीकत को समझते हुए फैसले लेती हैं और उनका उद्देश्य युवाओं को सही दिशा देना है। यशपाल सिंह ने कहा कि आज के दौर में बच्चों और युवाओं में अनुशासन और सामाजिक संस्कारों की आवश्यकता पहले से ज्यादा है। बागपत से लोकसभा सांसद राजकुमार सांगवान ने कहा कि खाप चौधरियों की यह चिंता उचित है। सामाजिकता और संस्कृति बनी रहनी चाहिए, इससे देश और समाज मजबूत होता है। सांगवान ने कहा कि युवाओं को संस्कार और संस्कृति से जोड़ने के लिए खाप चौधरी निरंतर काम करते हैं, इसलिए उनकी बातों को सम्मान दिया जाना चाहिए।