पिछले एक दशक में कई सरकारी काम आउटसोर्सिंग के जरिए करवाए जाने लगे हैं। इसे एक तरह से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) का दूसरा रूप भी माना जाता है। सरकार अपने अलग-अलग कामों के लिए निजी कंपनियों या एजेंसियों की मदद लेती है और इसके बदले में उन्हें पैसे दिए जाते हैं। इन आउटसोर्सिंग कंपनियों में होने वाली गड़बड़ियों को संभालने के लिए अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम (UPCOS) बनाने का फैसला किया है। इसके तहत यह भी कहा है कि नए नियमों के मुताबिक, कोई भी आउटसोर्सिंस एजेंसी किसी भी कर्मचारी को तब तक नहीं हटा सकेगी, जब तक कि संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी ने इसकी मंजूरी न दी हो।

 

खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में कार्यरत ‘आउटसोर्सिंग’ कार्मिकों की सेवा, श्रम अधिकारों और पारिश्रमिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम का गठन करने के निर्देश दिए हैं। आधिकारिक बयान के मुताबिक, एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि राज्य सरकार ‘आउटसोर्सिंग’ कार्मिकों के श्रम के सम्मान और जनहित में किए जा रहे कार्यों की सराहना करती है और उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।

 

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UPCOS से क्या बदल जाएगा?

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान में आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत लोगों के वेतन में कटौती, समय से भुगतान न होना, EPF (प्रोविडेंट फंड)/ESI जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ न मिल पाना, पारदर्शी चयन प्रक्रिया का अभाव, उत्पीड़न आदि शिकायतें प्राप्त होती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में व्यवस्था में व्यापक बदलाव करने की जरूरत है। सीएम योगी ने प्रस्तावित निगम के स्वरूप पर चर्चा करते हुए निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी कर्मचारी को सेवा प्रदाता एजेंसी द्वारा तब तक सेवा से नहीं हटाया जाए, जब तक कि संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी की मंजूरी न हो।

 

उन्होंने निर्देश दिए हैं कि हर महीने की 5 तारीख तक सभी कार्मिकों के बैंक खाते में पूरा पारिश्रमिक जमा हो जाए और साथ ही, EPF और ESI की राशि भी समय से जमा हो। सीएम योगी ने कहा कि नियमों के उल्लंघन पर एजेंसियों को ब्लैक लिस्ट में डालने, प्रतिबंध लगाने, जुर्माना लगाने और अन्य वैधानिक कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि निगम का गठन करते हुए इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान होने चाहिए।

 

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सीएम योगी ने यह भी कहा है कि आउटसोर्सिंग निगम के माध्यम से होने वाली सभी भर्तियों में नियमानुसार आरक्षण प्रावधानों का पालन किया जाए और कार्मिकों को मेडिकल सुविधा, मातृत्व अवकाश, दुर्घटना बीमा, पेंशन एवं पारिवारिक पेंशन सहित सभी लाभ निगम के माध्यम से सुनिश्चित किए जाएं।

पहले भी हुए कई फैसले

 

इससे पहले भी यूपी सरकार ने आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए काम करने वाले कार्मिकों के हित में कई फैसले लिए हैं। फरवरी 2025 में जब योगी सरकार ने अपना बजट पेश किया था तब यह कहा गया था कि अब से आउटसोर्सिंग कर्मियों का मानदेय बढ़ाकर 16 से 18 हजार रुपये किया जाएगा। उसी वक्त यह भी कहा गया था कि आउटसोर्सिंग निगम का भी गठन किया जाएगा।

 

बता दें कि उत्तर प्रदेश में लगभग 7 लाश से ज्यादा संविदा और आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मचारी हैं। प्रदेश सरकार की योजना है कि इन कर्मचारियों को कैजुअल लीव, मेडिकल लीव और बीमा जैसी सुविधाओं का भी फायदा दिया जाए।