उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के आपदाग्रस्त धराली गांव के आसपास के क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य जारी है। धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से भारी तबाही मची थी। बचाव कार्य में एनडीआरएफ-एसडीआरएफ, आईटीबीपी के साथ में सेना की भी मदद ली जा रही है। बचावकर्मियों ने शुक्रवार को 128 श्रद्धालुओं औक स्थानीय लोगों को बाहर निकाला। अब तक बाहर निकाले गए श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों की कुल संख्या 566 हो गई है।

 

गंगोत्री नेशनल हाईवे सहित कई रास्तों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से बचाव और राहत कार्यों को हवाई मार्ग के जरिए भी अंजाम दिया जा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अकेले शुक्रवार को दोपहर तक 128 श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को हेलीकॉप्टर के जरिए बाहर निकाला गया। इन लोगों को निकालकर भारत तिब्बत सीमा पुलिस के मातली हेलीपैड पर लाया गया है। 

 

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बादल फटने से आई थी भीषण बाढ़

पांच अगस्त को दोपहर बाद बादल फटने से खीरगंगा नदी में आई भीषण बाढ़ में चार लोगों की मौत हो गई थी। आपदास्थल से दो शव बरामद किए गए हैं। उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक, आपदा में सेना के नौ जवानों समेत 16 लोग लापता हुए हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि आपदा में लापता हुए लोगों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि घटना के समय वहां निर्माणाधीन होटलों में काम कर रहे नेपाल और बिहार के मजदूर और वहां के होटलों में रुके पर्यटक भी थे।

 

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एम-17 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल

उत्तराखंड सरकार के अलावा सेना के चिनूक और एम-17 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल जा रहा है। धराली में लगे मलबे के ढेर में लापता लोगों की तलाश के लिए उन्नत उपकरणों को भी हवाई मार्ग से मौके पर पहुंचाया जा रहा है। प्रभावित इलाकों में खाद्य तथा अन्य जरूरी सामग्री भी हेलीकॉप्टर के जरिए भेजी जा रही है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि अलग-अलग जगहों पर सड़कें टूटी होने के कारण बचाव अभियान के लिए हवाई मार्ग पर ही अधिक जोर दिया जा रहा है।

 

मदद को सामने आए स्थानीय लोग

धराली में अचानक आई बाढ़ के पीड़ितों को बचाने में मदद कर रहे एक निवासी उपेंद्र ने कहा, 'मैं घटना के पांच मिनट बाद ही यहां आ गया था। यहां किसी के बचने की कोई संभावना नहीं थी। हमने लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन यह जगह पूरी तरह मलबे से ढकी हुई थी। हमारे 12-13 लोग लापता हैं।' स्थानीय निवासी बचावकर्मियों के साथ में एजेंसियां का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं।

पीड़ितों ने सुनाई आपबीती

वहीं, इस भीषण त्रासदी से बचाए गए एक पीड़ित ने कहा, 'जब आपदा आई, तब मैं अपनी दुकान में थाहम बच नहीं पाएऊपर से एक तार टूटकर गिर गया, इस तरह मुझे चोट लग गईइस मलबे में कितने लोग फंस गए, इसकी कोई गिनती नहीं है।' बचाए गए एक दूसरे पीड़ित ने आपबीती सुताने हुए कहा, "मुझे घर से फोन आया, तो मैं पहाड़ी से नीचे आया और देखा कि सब कुछ तबाह हो गया थाकई लोग लापता हैंमेरे ससुर का भी कोई पता नहीं है।'

 

 

एक पीड़ित ने कहा, 'हमारा घर बह गयाहमारा सारा सामान उसमें थासब कुछ बह गयाहम बस अपनी जान बचाने के लिए भागे।' वहीं, एक और पीड़ित ने बचाए जाने के बाद कहा, 'हमारा घर पूरी तरह बह गयावहां कुछ भी नहीं बचा... हमें बहुत नुकसान हुआ हैअब हमारा कुछ भी नहीं बचा है।'

सीएम ने उत्तरकाशी में डाला डेरा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बचाव एवं राहत कार्यों की देखरेख के लिए बुधवार से ही उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में डेरा डाले हुए हैं। धामी शुक्रवार को धराली भूस्खलन आपदा से बचाए गए पीड़ितों जाकर घटनास्थल पर मिलेइस दौरान उन्होंने लोगों को सांत्वना दीसीएम धामी गढ़वाल मंडल के कमिश्नर विनय शंकर पांडे और डीजीपी दीपम सेठ के साथ धराली-हरसिल के ग्राउंड जीरो पर पहुंचे थेइस दौरान उन्होंने सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा चलाए जा रहे बचाव कार्यों की समीक्षा की

 

 

वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्ययालय ने जानकारी देते हुए बताया कि सीएम पुष्कर सिंह धामी निर्देश पर राज्य सरकार की कोशिशों से हरसिल घाटी में मोबाइल नेटवर्क बहाल कर दिया गया है