देवभूमि उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन चल रहा है। राष्ट्रीय खेलों में तमाम खेलों के बीच एथलेटिक इवेंट्स भी हुए हैं। एथलेटिक इवेंट्स के पहले दिन ही उत्तराखंड ने 10000 मीटर की दौड़ में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल अपने खाते में कर लिया। उत्तराखंड के लिए ब्रॉन्ज मेडल सोनिया ने जीता है।

 

सोनिया ने ब्रॉन्ज मेडल तो जीता ही है, लेकिन उनके मेडल जीतने से ज्यादा चर्चा उनके जूतों को लेकर हो रही है। दरअसल, होनहार धावक सोनिया ने अभावों के बीच यह अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। उत्तराखंड के मंगलौर की रहने वाली सोनिया के पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। 

 

23 साल की सोनिया उत्तराखंड की उभरती हुई लंबी दूरी की धावकों में से एक हैं। वह मन से दृढ़ निश्चयी एथलीट हैं, मगर उनके दृढ़ निश्चय के बीच में उनकी गरीबी बीच में आ जाती है।

 

कई सालों तक प्रशिक्षण लिया

 

सोनिया ने कई सालों तक प्रशिक्षण लिया है। इस बीच उनको कई बार चोट के साथ में परिवार की गरीबी भी सामने आई, लेकिन इन सबके बावजूद जब वह शनिवार को सही जूते नहीं के बगैर देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के ट्रैक दौड़ीं तो दुनिया देखती रह गई।

 

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सोनिया के जूते किसी के पास नही!

 

दरअसल, ,सोनिया के पैर का साइज यूके 3 है, एड़ी से पैर तक 8.7 इंच। यह साइज ज्यादातर स्पोर्ट्स ब्रांड के स्टॉक में नहीं है। महिलाओं के रनिंग जूते आमतौर पर साइज 4 से शुरू होते हैं और 8 तक जाते हैं। सोनिया के लिए यह बड़ी समस्या थी, सही जूते ना होने के बावजूद उन्होंने 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा है। 

 

सरकार ने किट मुहैया कराई

 

इस दौरान उत्तराखंड के खेल विभाग ने सोनिया को राष्ट्रीय खेलों के लिए किट मुहैया कराई। लेकिन जूते उनके साइज के नहीं मिल सके। इसके बाद सोनिया के सामने यह समस्या पैदा हो गई कि या तो दौड़ से हट जाएं या पुराने जूते पहनकर प्रतियोगिता में भाग लें। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वह अपने उसी पुराने फटे हुए जूते पहनकर रेस में दौड़ेंगी। 

 

सोनिया ने फटे जूते पहनकर दौड़ में भाग लिया और अपने राज्य के लिए कांस्य पदक जीत लिया।