हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला की असिस्टेंट एडवोकेट जनरल पद पर हुई नियुक्ति अब रद्द कर दी गई है। गृह और न्याय विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमित मिश्रा ने एक आदेश जारी किया, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। उनकी नियुक्ति का आदेश 18 जुलाई को जारी हुआ था। असिस्टेंट एडवोकेट जनरल की लिस्ट में विकास बराला का नाम सामने आया था, जिसके बाद राज्यभर में हंगामा बरपा था। विकास बराला पर एक IAS की बेटी का पीछा करने और अपहरण करने का आरोप है।
विकास बराला विवादों में रहे हैं। उन पर एक IAS अधिकारी की बेटी से छेड़छाड़ के गंभीर आरोप हैं, वह भी तब, जब उनके पिता राज्य बीजेपी के अध्यक्ष थे। सुभाष बराला 2014 से 2020 तक हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं। जब विकास बराला की नियुक्ति की बात सार्वजनिक हुई तो पीड़िता ने अपनी आपबीती सोशल मीडिया पर शेयर की। पीड़िता ने सोशल मीडिया पोस्ट में सरकार की आलोचना की। 45 से ज्यादा IAS अधिकारियों ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को चिट्ठी लिखी और नियुक्ति रद्द करने की मांग की।
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पहले हंगामा और फिर नियुक्ति रद्द
हरियाणा में जब इस मामले ने सियासी तूल पकड़ा तो सरकार ने फैसले से पीछे हटने का फैसला लिया। पीड़िता ने लिखा था कि न्यायपालिका पर भले ही विश्वास है लेकिन इस फैसले से हिम्मत कमजोर पड़ रही है। महीनों तक जिस मुद्दे की चर्चा देशभर में हुई, उसे दरकिनार करके सरकार ने विकास बराला को नियुक्त करने का फैसला लिया। अब किरकिरी के बाद इस फैसले को वापस लेना पड़ा।
विकास बराला पर आरोप क्या हैं?
विकास बराला साल 2017 के एक मामले के मुख्य आरोपी हैं। 4 अगस्त 2017 की रात में चंडीगढ़ में तैनात एक IAS अधिकारी की बेटी के साथ छेड़छाड़ की कोशिश हुई थी। विकास बराला और उनके दोस्त आशीष कुमार पर आरोप हैं कि दोनों ने छेड़छाड़ की है। पीड़िता की शिकायत है कि रात करीब 12.15 पर सेक्टर 8 मार्केट से वह अपनी कार में घर के लिए निकली थी, तभी सेक्टर 7 के पास एक टाटा सफारी उसका पीछा करने लगी। राह बदलने की कोशिश की तो उसे सेक्टर 26 की ओर गाड़ी बदलने के लिए मजबूर किया गया। आरोपियों ने कई बार गाड़ी रोकी।
पीड़िता गाड़ी भगा रही थी और आरोपी उसे गाड़ी से ही रोक रहे थे। पीड़िता की कार के पास एक आरोपी दौड़ता आया, पीड़िता किसी तरह कार घुमाकर जान बचाने में कामयाब हुई। पीड़िता ने 100 नंबर पर कॉल किया था, पुलिस को जानकारी दी थी। जैसे ही वह सॉलिटेयर होटल के पास पहुंची, आरोपियों ने दोबारा उसकी राह रोकने की कोशिश की।
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एक आरोपी ने पीड़िता की कार का गेट खोलना चाहा। तभी एक पीसीआर गाड़ी मौके पर पहुंची। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पीड़िता ने ही फोन किया था। पहले आरोपियों के खिलाफ केस ही नहीं दर्ज हो रहा था। IAS अधिकारियों के दबाव के बाद केस दर्ज हुआ।
किन धाराओं के तहत केस चल रहा है?
विकास बराला और आशीष पर IPC की धारा 363 और 511 के तहत केस दर्ज किया गया था। विकास बराला पर पीड़िता की राह रोकने, किडनैपिंग और छेड़छाड़ की कोशिश के गंभीर आरोप हैं। यही वजह है कि नियुक्ति पर बवाल हो रहा है।
सुभाष बराला कौन हैं?
सुभाष बराला, हरियाणा बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार हैं। 5 दिसंबर 1967 को उनका जन्म हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत हरियाणा के फतेहाबाद जिले से की थी। उनकी विधानसभा सीट टोहाना रही है। पार्टी संगठन में कई साल जुटे रहे। सुभाष बराला दिसंबर 2014 से जुलाई 2020 तक हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे। विकास बराला पर आरोप भी साल 2017 में लगे थे, तब उनके पिता राज्य बीजेपी के अध्यक्ष थे।
क्यों इतने मजबूत हैं सुभाष बराला?
सुभाष बराला, साल 2014 में टोहाना विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जननायक जनता पार्टी के उम्मीदवार देवेंद्र सिंह बबली से हार का सामना करना पड़ा। फरवरी 2024 में सुभाष बराला को हरियाणा से बीजेपी की ओर से राज्यसभा सांसद चुना गया। ऐसा तब हुआ, जब उनके बेटे पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं। वह मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं।

आरोप के बाद भी नहीं घटा सियासी रसूख
हरियाणा में सुभाष बराला का कद बड़ा है। वह जाट समुदाय में लोकप्रिय हैं। साल 2014 से 2020 तक के कार्यकाल के बीच उनकी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था। 2014 में तो बहुमत की सरकार भी बनी थी। जीत का क्रेडिट सुभाष बराला को भी मिला था। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ भी उनके अच्छे संबंध माने जाते हैं।