पश्चिम बंगाल में राम नवमी के आयोजन को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। बंगाल में पिछले एक दशक में रामनवमी की लोकप्रियता जैसे-जैसे बढ़ी है, वैसे-वैसे राज्य में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इस बीच में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से शांति से रामनवमी मनाने का आह्वान किया है, वहीं विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बंगाल में राम मंदिर बनाने का ऐलान कर दिया है। इस बार की रामनवमी में स्थितियां और भी असामान्य सी दिखाई दे रही हैं। 

 

मालदा जिले के मोथाबारी इलाके में तनाव है और 6 अप्रैल को रामनवमी से पहले तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे के खिलाफ हमलावर हो गई हैं।

 

सुवेंदु अधिकारी को रैली करने से पुलिस ने रोका

 

मंगलवार को सुवेंदु अधिकारी ने पुलिस ने मोथाबारी जाने और अपने गृह क्षेत्र कांथी में विरोध रैली करने की अनुमति नहीं दी। इसके विरोध में अधिकारी ने कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया। इसके साथ ही पुलिस ने बंगाल के बीजेपी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार को भी मोथाबारी जाने से रोक दिया। दरअसल, मोथाबारी में रामनवमी की रैली के स्थानीय एक मस्जिद से गुजरने के बाद सांप्रदायिक तनाव फैल गया था।

 

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रामनवमी को लेकर बंगाल पुलिस ने 29 मार्च को लोगों से सोशल मीडिया पर भड़काऊ बातों को नजरअंदाज करने और ईद और रामनवमी के दौरान उपद्रव करने की कोशिश करने वाले उपद्रवियों को चेतावनी दी।  इसी सिलसिले में ईद के दिन कोलकाता में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मुस्लिमों को उकसावे और बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति में नहीं आने की सलाह दी थी।

 

पिछले सालों में रामनवमी के दौरान हुई हिंसा

 

ईद के दो दिन बाद मुख्यमंत्री ने फिर से राज्य के सभी समुदायों से रामनवमी के दौरान शांति बनाए रखने और किसी भी अफवाह पर ध्यान ना देने की अपील की। बता दें कि साल 2017 में पश्चिम बंगाल में इतिहास की सबसे बड़ी रामनवमी मनाई गई थी। आरएसएस द्वारा समर्थित संगठनों ने कोलकाता में छह बड़ी मेगा रैलियां और राज्य के 175 जगहों पर रामनवमी रैली की थी। इसके अगले ही दिन कोलकाता के मुस्लिम बहुसंख्यक पोर्ट इलाके में तनाव फैल गया था। 

 

वहीं, साल 2018 में रामनवमी के मौके पर ही आसनसोल में हिंसा भड़क उठी थी। इसमें एक इमाम के बेटे की मौत हो गई थी। । तत्कालीन बीजेपी सांसद और वर्तमान टीएमसी नेता बाबुल सुप्रियो पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था। जबकि, हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि रामनवमी के जुलूसों पर पथराव किया गया था।

 

साल 2023-24 में भी हुई हिंसा

 

साल 2023 की रामनवमी के मौके पर बंगाल के हावड़ा जिले के शिबपुर में भीड़ ने की दुकानों और वाहनों पर हमला करते हुए उत्पात मचा दिया। राज्य में सांप्रदायिक झड़पें हो गई थीं। पत्थरबाजी करके पुलिस और मीडिया को निशाना बनाया गया था। 2024 में मुर्शिदाबाद जिले के रेजिनगर इलाके में रामनवमी जुलूस पर कथित तौर पर हमला होने के बाद, देसी बम फेंके जाने और दुकानों में तोड़फोड़ की खबरें आई थीं।

 

हमला हुआ तो जवाबी कार्रवाई करेंगे- विहिप

 

इस बार विश्व हिंदू परिषद ने रामनवमी पर बंगाल में 2,000 से ज्यााद रैलियां, 200 झांकियां और 5,000 जगहों पर श्री राम महोत्सव मनाने की घोषणा की है। विहिप के दक्षिण बंगाल सचिव चंद्रनाथ दास ने कहा, 'हम रामनवमी को पहले से ज्यादा धूमधाम से मनाने की योजना बना रहे हैं और श्री राम महोत्सव भी आयोजित करेंगे। हालांकि पुलिस से बातचीत चल रही है, लेकिन हमें लगता है कि वे हमें पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे पाएंगे। यह हम पर निर्भर है। अगर हमला हुआ तो हम जवाबी कार्रवाई करेंगे।'

 

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वहीं, विहिप के उत्तर बंगाल सचिव लक्ष्मण बंसल ने कहा कि राज्य में महिला सशक्तिकरण और बिरसा मुंडा जैसी अन्य चीजों को लेकर 156 झांकियां निकाली जाएंगी।

 

राम नवमी उत्सव का इतिहास

 

कलकत्ता विश्वविद्यालय के इतिहासकार अमित डे के मुताबिक बंगाल में राम नवमी का उत्सव मनाया जाना राज्य में नया-नया है। उन्होंने कहा कि 1970 और 80 के दशक में दक्षिण कलकत्ता में राम नवमी का उत्सव मनाया जाता था।

 

इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए राजनीतिक वैज्ञानिक आशुतोष वार्ष्णेय और भानु जोशी ने बताया कि भारत की आजादी के तीन से चार दशकों में राम नवमी के दौरान हिंसा नहीं होती थी। उस समय राम नवमी के जुलूस बड़े नहीं होते थे। राम का जन्म मंदिरों और घरेलू मंदिरों में खुशी से मनाया जाता था।