नीतीश कुमार सरकार ने बिहार में सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण को सिर्फ राज्य स्थायी निवासी महिलाओं तक के लिए ही सीमित कर दिया है। यह फैसला राज्य की कैबिनेट में मंगलवार को लिया गया। इस मीटिंग में 43 अन्य मुद्दों पर भी फैसले लिए गए। फैसले के मुताबिक राज्य में सरकारी नौकरियों में लागू 35 प्रतिशत के महिला रिजर्वेशन को सिर्फ राज्य की स्थायी निवासी महिलाओं तक ही सीमित कर दिया गया है।

 

मीटिंग के बाद राज्य के मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने एक प्रेस ब्रीफिंग में इस बात की जानकारी देते हुए कहा, 'राज्य की केवल स्थायी निवासी महिलाओं को ही सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा।' इसके पहले बिहार में सरकारी नौकरियों में राज्य के बाहर की महिलाओं के लिए भी आरक्षण लागू था। महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था साल 2016 में तत्कालीन नीतीश सरकार द्वारा की गई थी।

 

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बिहार युवा आयोग बनेगा

इसके अलावा कैबिनेट ने बिहार युवा आयोग बनाने की भी स्वीकृति दी है ताकि राज्य के युवाओं को सशक्त बनाया जा सके और स्किल डेवलेपमेंट के जरिए उन्हें रोजगार की तरफ मोड़ा जा सके।

 

यह कमीशन सलाहकार निकाय की तरह काम करेगा और तमाम विभागों के बीच को-ऑर्डिनेशन का काम भी करेगा ताकि शिक्षा, स्किल ट्रेनिंग और रोजगार के अवसरों के मामले में उनकी पहुंच को सुनिश्चित किया जा सके। इस कमीशन में एक चेयरमैन, दो वाइस-चेयरमैन और सात सदस्य होंगे।

 

 

नीतीश कुमार ने कहा कि, 'कमीशन इस बात की निगरानी करेगा कि राज्य के युवाओं को राज्य के भीतर प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में प्राथमिकता दी जाए। साथ ही इस बात की भी कोशिश की जाएगी जो युवा बिहार के बाहर हैं उनके भी हितों का संरक्षण किया जा सके।'

 

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चुनाव के पहले लिया फैसला

चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के पहले यह फैसला लेना दिखाता है कि नीतीश कुमार राज्य की महिलाओं और युवाओं को साधने की कोशिश में लगे हैं। इ्सी साल मई में किए गए एक प्रि-पोल सर्वे में कहा गया कि बिहार में महिलाएं एनडीए को वोट करेंगी जबकि ज्यादातर पुरुषों का झुकाव महागठबंधन की ओर था।

 

ओपीनियन पोल में यह भी सामने आया था कि नीतीश कुमार महिलाओं की पहली पसंद हैं जबकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की युवाओं के बीच में काफी पहुंच है।